Home Blog

किसको ढूँढती है माफिया डॉन बृजेश सिंह की निगाहें, कौन है ये बीकेडी?

नई दिल्ली – वाराणसी सेंट्रल जेल में 13 साल तक रहने के बाद पूर्वांचल का डॉन बृजेश सिंह अब जेल से रिहा हो चुका है बृजेश सिंह अब अपनी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह और भतीजे सुशील सिंह के साथ साधारण जीवन व्यतीत कर रहे हैं लेकिन आज भी बृजेश सिंह की निगाहें उस चेहरे को तलाशती रहती है जिसे सिर्फ बृजेश पहचानते हैं, जिसे सिर्फ उसने ही देखा है।

बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की अदावत तो जगजाहिर है बाहुबली मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है, राजनीतिक समीकरणों केचलते मुख्तार अंसारी का गैंग लगभग खत्म हो चुका है मुन्ना बजरंगी, मोहम्मद मेराज, संजीव जीवा माहेश्वरी, राकेश पांडे जैसे तमामवफादार या तो मारे गए या फिर सलाखों के पीछे हैं वहीं डॉन बृजेश सिंह अपनी राजनीतिक पैठ के चलते आज मुख्तार पर भारी है।

ऐसे में माफिया बृजेश सिंह को अगर किसी से खतरा सता रहा है तो सिर्फ बीकेडी उर्फ इंद्रदेव सिंह से, जिसे कोई नहीं जानता की वहदिखता कैसा है, खबरों के अनुसार बीकेडी की भी बृजेश की तरह रूप बदलने में माहिर माना जाता हैं बृजेश सिंह को मुख्तार अंसारी से ज्यादा खतरा बीकेडी से है, आपको बता दें बीकेडी के ऊपर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक लाख रुपए काइनाम रखा है, लेकिन चौकने वाली बात ये है कि उसकी एक भी तस्वीर उत्तर प्रदेश पुलिसके पास नहीं है।

क्या है कारण इस दुश्मनी का ?

बीकेडी उर्फ़ इंद्रदेव सिंह और डॉन बृजेश सिंह की दुश्मनी दशकों पुरानी है दरअसल बृजेश सिंह के पिता रविंद्र नाथ सिंह उर्फ भुल्लनसिंह की हत्या में पांचू सिंह और ओमप्रकाश सिंह उर्फ लुल्लू सिंह नामजद किए गए थे अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिएअपराध के रास्ते पर चलने वाले बृजेश सिंह ने पांचू सिंह के पिता हरिहर सिंह और उसके चचेरे बड़ा भाई बनारसी सिंह की हत्या कर दीगई थी तभी 10 जनवरी 1999 को वाराणसी पुलिस ने पांचू सिंह और उसके साथी बंसी सिंह का एनकाउंटर कर दिया।

बृजेश सिंह के कट्टर विरोधी गुट में हरिहर सिंह का नाम भी गिना जाता था।हरिहर सिंह के पाँच लड़के थे इंद्र प्रकाश सिंह उर्फ़ पाचू सिंह, सत्यदेव सिंह उर्फ़ साचू सिंह, सिद्धार्थ नाथ सिंह उर्फ़ सीकेडी, इंद्रदेव सिंह उर्फ़ बीकेडी। वाराणसी में माफिया बृजेश सिंह के गुट परकाम करने वाले एक रिटायर्ड अधिकारी ने साफ बताया रंजिश की शुरुआत बृजेश सिंह के पिता के समय से हुई है। जब डॉन बृजेशसिंह के पिता रविंद्र नाथ सिंह ने बाहुबली मुख़्तार अंसारी के आदमी हरिहर सिंह और उसके बेटे पांचू सिंह की जमकर पिटाई कर दी थी।जब बाद में रविंद्र नाथ सिंह की हत्या हुई तो उसमें नाम हरिहर सिंह और पांचू सिंह का आया जिसके बाद आरोप लगा कि पिता कीहत्या का बदला लेने के लिए बृजेश सिंह ने हरिहर सिंह की हत्या कर दी थी।

इंद्रदेव सिंह उर्फ़ बीकेडी पर मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेशपुलिस ने एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा है लेकिन बीकेडी को आज तक किसी पुलिस वाले ने नहीं देखा ना ही पुलिस केपास बीकेडी की कोई उसकी तस्वीर है। ऐसे में डॉन बृजेश सिंह को अगर किसी से खतरा है तो वह सिर्फ बीकेडी उर्फ इंद्रदेव सिंह सेजिसे कोई नहीं देखा ना कोई जानता शायद इसीलिए बृजेश सिंह जब भी घर से बाहर आया तो निगाहें हमेशा चौकन्नी रहती हैं, बृजेशको वफादारों की फौज सुरक्षा घेरे में लिए रहती है। हाली में बृजेश सिंह की मुलाक़ात अखिलेश यादव से हुई थी जब वह मुलायम सिंहको दी श्रद्धांजलि देने गये थे। तब भी बृजेश सिंह के साथ कई सुरक्षा कर्मी आये थे।

Sports car: सेकंडों में छूमंतर हो जाती है ये शानदार कार, कितनी है कीमत, जानें पूरी डिटेल्स

नई दिल्ली: भारतीय बाजार में कई बेहतरीन sports car मौजूद हैं जिन्हें देश में काफी पसंद किया जाता है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी धांसू स्पोर्ट्स कार के बारे में जिसे देख आप भी हैरान रह जाएंगे. जी हां दरअसल आपको बता दें कि Jaguar Land Rover ने अपनी एक धांसू स्पोर्ट्स कार Range Rover Sport मॉडल की डिलीवरी शुरु कर दी है. इसके साथ ही आपको बता दें कि इस कार में आपको बेहद ही धांसू फीचर्स के साथ ही शानदार स्टाइलिश लुक भी देखने को मिल जाएंगे. साथ ही ये कार कुछ ही सेकंड में फुर्र हो जाती है.

Range Rover Sports Car Engine

आपको बता दें कि रेंज रोवर स्पोर्ट के मूल में दो माइल्ड-हाइब्रिड टर्बोचार्ज्ड 3.0-लीटर स्ट्रेट-6 इंजन हैं. यह इंजन 355 hp का पावर और 500 Nm का टॉर्क जेनरेट करता है. लेकिन माइल्ड हाइब्रिड सिस्टम के काम करने पर इसके पावर और टॉर्क के आंकड़े क्रमशः 395 hp और 550 Nm तक बढ़ जाते हैं. रेंज रोवर स्पोर्ट का P440e ऑटोबायोग्राफी मॉडल भी है जिसमें टर्बो 3.0-लीटर मोटर के साथ प्लग-इन हाइब्रिड मिलता है. यह आश्चर्यजनक रूप से 434 hp का पावर पर है और 839 Nm का टार्क जेनरेट करता है. यह 105-किलोवाट इलेक्ट्रिक मोटर और 31.8-किलोवाट-घंटे की बैटरी के साथ आता है.

Range Rover Sports Car Features

इसके साथ ही इस कार में कंपनी ने काफी बेहतरीन फीचर्स भी उपलब्ध कराए हैं. इसमें ज्यादातर प्रीमियम फीचर्स मिलते हैं. जिसमें रेक्ड बैक डैशबोर्ड, 13.1 इंच का टचस्क्रीन शार्प डिजिटल डायल स्क्रीन, HVAC कंट्रोल्स, फैन स्पीड पुश कंट्रोल, लेदर अपग्रेड, मेरिडियन 3डी साउंड सिस्टम, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंट कंसोल, डिजिटल ड्राइवर डिस्प्ले, हेड अप डिस्प्ले, 360 डिग्री व्यू कैमरा, ड्राइवर असिस्ट पैक जैसे नए फीचर्स दिए गए हैं.

Range Rover Sports Car Price

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस कार कि शुरुआती एक्स शोरुम कीमत कंपनी ने करीब 1.64 करोड़ रुपए रखी है. वहीं इसके टॉप वैरिएंट को खरीदने के लिए आपको करीब 1.84 करोड़ रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं. साथ ही इस कार का लुक भी काफी स्टाइलिश है जो देश के युवाओं को खासतौर पर पसंद आता है.

मध्यप्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश की हिंदी में ऐतिहासिक पहल

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने हिंदी भाषा में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारम्भ करके शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। इस पहल के लिए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की सरहाना की जानी चाहिए। भारत एक विशाल देश है। यहां के विभिन्न राज्यों की अपनी क्षेत्रीय भाषाएं हैं। स्वतंत्रता के पश्चात से ही मातृभाषा को प्रोत्साहित करने की बातें चर्चा में रही हैं, परंतु इनके विकास के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। इसके कारण प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी भाषा अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित हो गया। अब भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने देश के विभिन्न राज्यों की मातृभाषाओं के विकास का बीड़ा उठाया है। इसका प्रारम्भ मध्य प्रदेश से हुआ है। मध्य प्रदेश के पश्चात अब उत्तर प्रदेश में भी चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई हिंदी में होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के माध्यम से इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कुछ पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद कर दिया गया है। आगामी वर्ष से प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में इन विषयों के पाठ्यक्रम हिंदी में भी पढ़ने के लिए मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि गत 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में चिकित्सा शिक्षा की हिंदी भाषा की तीन पुस्तकों का विमोचन किया। इनमें एमबीबीएस प्रथम वर्ष की एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो केमिस्ट्री की पुस्तकें सम्मिलित हैं, जिनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है। उल्लेख करने योग्य बात यह भी है कि चिकित्सीय शब्दावली को ज्यों का त्यों रखा गया है, क्योंकी संपूर्ण पाठ का हिंदी में अनुवाद करना संभव नहीं है। यदि ऐसा किया जाता है, तो इससे छात्रों के लिए कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। राज्य के 13 राजकीय महाविद्यालयों में हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारम्भ हो गई है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस पहल के लिए शिवराज सरकार को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन शिक्षा के क्षेत्र में नवनिर्माण का दिन है। शिवराज सरकार ने देश में सर्वप्रथम चिकित्सा की हिंदी में पढ़ाई प्रारम्भ करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की इच्छा की पूर्ति की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, बंगाली आदि सभी क्षेत्रीय भाषाओं में चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने का आह्वान किया था।

उन्होंने कहा कि देश के विद्यार्थी जब अपनी भाषा में पढ़ाई करेंगे, तभी वह सच्ची सेवा कर पाएंगे। साथ ही लोगों की समस्याओं को ठीक प्रकार से समझ पाएंगे। चिकित्सा के पश्चात अब 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई उनकी मातृभाषा में प्रारम्भ होने वाली है। देशभर में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की पुस्तकों का अनुवाद का कार्य प्रारम्भ हो चुका है और कुछ ही समय में देश के सभी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना प्रारम्भ करेंगे। मैं देश भर के युवाओं से कहता हूं कि अब भाषा कोई बाध्यता नहीं है। आप इससे बाहर आएं। आपको अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए। अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करके आप अपनी प्रतिभा का और अच्छी तरह प्रदर्शन करने के लिए स्वतंत्र हैं। मातृभाषा में व्यक्ति सोचने, समझने, अनुसंधान, तर्क एवं कार्य और अच्छे ढंग से कर सकता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भारतीय छात्र जब मातृभाषा में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा का अध्ययन करेंगे तो भारत विश्व में शिक्षा का बड़ा केन्द्र बन जाएगा। जो लोग मातृभाषा के समर्थक हैं, उनके लिए आज का दिन गौरव का दिन है। उन्होंने नेल्सन मंडेला का स्मरण करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही होती है। नेल्सन मंडेला ने कहा था कि अगर व्यक्ति से उसकी मातृभाषा में बात करें तो वह बात उसके दिल में पहुंचती है।

यह सर्वविदित है कि मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत सहज एवं सुगम होता है। अपनी मातृभाषा में विद्यार्थी किसी भी विषय को सरलता से समझ लेता है, जबकि अन्य भाषा में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है। विश्व भर के शिक्षाविदों ने मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किए जाने को महत्व दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार अपनी मातृभाषा में चिकित्सा की पढ़ाई करवाने वाले देशों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था अन्य देशों से अच्छी स्थिति में है। चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस एवं जापान सहित अनेक देश अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सर्वविदित है कि ये देश लगभग प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी हैं। इन देशों ने अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करके ही उन्नति प्राप्त की है। यदि स्वतंत्रता के पश्चात भारत में भी मातृभाषा में चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती तो हम भी आज उन्नति के शिखर पर होते।

उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारंभ होने से देश में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आएगा।लाखों छात्र अपनी भाषा में अध्ययन कर सकेंगे तथा उनके लिए कई नये अवसरों के द्वार भी खुलेंगे।

निसंदेह ग्रामीण परिवेश एवं मध्यम वर्ग के हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई सुगम हो जाएगी, क्योंकि उन्हें चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में अंग्रेजी भाषा के कठिन शब्द समझने में कठिनाई होती है। चिकित्सा एवं इंजीनियरिग की शिक्षा के पश्चात विज्ञान, वाणिज्य एवं न्याय की शिक्षा भी मातृभाषा में होनी चाहिए। न्यायिक क्षेत्र में सारे कार्य भी मातृभाषा में होने चाहिए। न्यायिक मामलों की कार्यवाही भी मातृभाषा में होनी चाहिए। प्राय : न्यायालयों का सारा कार्य अंग्रेजी में होता है। लोगों को पता नहीं होता कि अधिवक्ता न्यायाधीश से क्या कह रहा है और क्या नहीं। उन्हें कार्यवाही की कोई जानकारी नहीं होती। अपनी मातृभाषा में न्यायिक कार्य होने से लोगों को आसानी हो जाएगी।

लोग हिंदी में चिकित्सा एवं तकनीकी की पढ़ाई का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि छात्रों को हिंदी में पुस्तकें उपलब्ध नहीं होंगी। वास्तव में यही वे लोग हैं, जो अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित रखने के पक्ष में हैं। ये लोग नहीं चाहते कि भारतीय भाषाएं उन्नति करें। ऐसे लोगों के कारण ही स्वतंत्रता के पश्चात भी अंग्रेजी फलती-फूलती रही तथा भारतीय भाषाओं का विकास अवरुद्ध होता चला गया। वर्तमान में इन विषयों की बहुत सी पाठ्य पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध नहीं हैं, किन्तु अभी चिकित्सा एवं तकनीकी पुस्तकों का अनुवाद का कार्य चल रहा है। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त चिकित्सा से संबंधित अन्य पुस्तकों का अनुवाद का कार्य भी होगा। भविष्य में इन विषयों की पुस्तकों का कोई अभाव नहीं रहेगा। इसलिए पुस्तकों की उपलब्धता के कारण इस नई पहल का विरोध करना उचित नहीं है।

पूर्व में अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान न होने के कारण योग्य एवं प्रतिभाशाली विद्यार्थी चिकित्सा एवं तकनीकी आदि विषयों की पढ़ाई नहीं कर पाते थे, किन्तु अब भाषा की बाधा दूर हो रही है। अब अंग्रेजी भाषा विद्यार्थियों के सुनहरे भविष्य के आड़े नहीं आएगी। यह देश का दुर्भाग्य है कि हिंदी को देश की राजभाषा घोषित करने पश्चात भी एक राजनीतिक षड्यंत्र के कारण विदेशी भाषा अंग्रेजी में कार्य करने को विशेष महत्व दिया जाता रहा है। अंग्रेजी के कारण हिंदी सहित लगभग सभी भारतीय भाषाएं पिछड़ती चली गईं। ये सब भाषाएं आज भी अपने मान-सम्मान के लिए संघर्ष कर रही हैं। किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई हिंदी में प्रारम्भ होने से यह आशा जगी है कि भारतीय भाषाओं को उनका खोया हुआ मान-सम्मान पुन: प्राप्त हो सकेगा।

(लेखक – माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में सहायक प्राध्यापक है )

WhatsApp Call: व्हाट्सऐप कॉल को भी अब कर सकेंगे रिकॉर्ड! बस करना होगा ये आसान काम, जानें टिप्स

चैटिंग के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली ऐप व्हाट्सऐप है. व्हाट्सऐप अपने यूजर्स के लिए हमेशा नए-नए फीचर्स लेकर आता रहता है. आज हम आपको एक ऐसा तरीका बताएंगे जिसके जरिये आप आसानी से एक ऐप के जरिए व्हाट्सऐप पर कॉल रिकॉर्ड कर सकते हैं.

नॉर्मल कॉल को रिकॉर्ड करना आसान है लेकिन व्हाट्सऐप कॉल रिकॉर्ड करने का तरीका अभी तक किसी को नहीं पता है. इसके लिए अभी कोई भी आधिकारिक फीचर कंपनी ने नहीं दिया है. अक्सर लोग व्हाट्सऐप पर इसलिए कॉल करके बात करते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि ये रिकॉर्ड नहीं होगी. लेकिन अब इस ऐप के जरिये व्हाट्सऐप कॉल आसानी से रिकॉर्ड होकर सेव हो जाएगी.

WhatsApp Call को कैसे करें रिकॉर्ड

इसके लिए आपको बस एक ऐप डाउनलोड करनी होगी. यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और इसे फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है. इस ऐप का नाम Call Recorder – Cube ACR है. इसके जरिए आप व्हाट्सऐप पर आने वाली हर कॉल रिकॉर्ड कर पाएंगे.

ऐप डाउनलोड करने के बाद आपको फोन के एक्सेसिबिलिटी पर जाना होगा. फिर सेटिंग्स सेक्शन में जाकर ऐप कनेक्टर को इनेबल करना होगा. फिर आपसे कुछ परमीशन मांगी जाएंगी उन्हें Allow कर दें. अब जब भी आपके पास व्हाट्सऐप कॉल आएगी तो हर कॉल रिकॉर्ड हो जाएगी. यह आपके फोन में सेव रहेगी.

WhatsApp पर डिलीट किए गए संदेशों को पढ़ने का जानें आसान तरीका

WhatsApp Deleted message: ऐसी स्थितियों में जहां WhatsApp गलती से संदेशों को हटा देता है, आप कुछ प्रक्रियाओं का पालन करके उन वार्तालापों को फिर से पढ़ सकते हैं। उपयोगकर्ता संदेशों को हटा सकते हैं यदि उन्होंने उन्हें गलती से किसी को भेज दिया है या यदि वे कुछ समय बीतने के बाद ऐसा करने का निर्णय लेते हैं। इसके बाद बड़ी संख्या में लोग मिटाए गए मैसेज को देखना चाहते हैं। इसके लिए सीधी प्रक्रिया अपनानी होगी। व्हाट्सएप संदेशों को पढ़ने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम में दो तरीके बनाए गए हैं जिन्हें मिटा दिया गया है।
सूचना इतिहास को संग्रहीत करना संभव है, हालांकि यह विकल्प केवल अस्थायी रूप से कार्यशील है। यदि कोई संदेश भेजा गया है, लेकिन नोटिस हटाया नहीं गया है, तो संदेश अधिसूचना के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को दिखाई देगा। इस तरह आप नोटिफिकेशन के जरिए मैसेज पढ़ सकते हैं।

WhatsApp टिप्स

एक टूल का उपयोग करके आप हटाए गए संदेशों को भी आसानी से पढ़ सकते हैं. WAMR इसके लिए एक ऑनलाइन टूल है जो Android के लिए Google Play Store पर उपलब्ध होगा। यूजर्स इसकी मदद से डिलीट हुए मैसेज को आसानी से देख सकेंगे। हालाँकि, इस ऐप को आवश्यक अनुमतियों की आवश्यकता है।

WhatsApp के अलावा यह ऐप इंस्टाग्राम सपोर्ट को भी बेहतर बनाता है। ध्यान रखें कि यह उपकरण, WAMR, उपयोगकर्ता अनुमतियों तक पहुँचता है और आपकी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँच सकता है। हटाए गए संदेशों को आसानी से पढ़ने का दूसरा तरीका इस विधि का उपयोग करना है।

फिल्म लेखक वेदिक द्विवेदी की पुस्तक रामेश्वरा से जुड़े रोचक तथ्यों का खुलासा

बलात्कार जैसे संगीन अपराध पर जल्द ही प्रकाशित होने जा रही है फिल्म लेखक वेदिक द्विवेदी जी की पुस्तक रामेश्वरा। वेदिक द्विवेदी का जन्म उप्र प्रदेश के जनपद बस्ती में हुआ। जनपद के शिवहर्ष किसान पी जी कॉलेज से स्नातक करने के बाद इन्होंने ने फिल्म लेखन के क्षेत्र में अपना कैरियर चुना। यह पुस्तक मूलतः इनके फिल्म की कहानी है। इनके पिता का नाम राकेश कुमार दूबे व माता का नाम कुसुम दूबे है। माता पिता के दो संतानों में ये बड़े हैं व इनके छोटे भाई का नाम ऋषिक द्विवेदी है।

हम आपको बताने चाहेंगे कि पुस्तक कि पुस्तक हिन्दी के नाटक विधा में लिखा गया है। कहानी शुरू होती है एक पत्रकार के हत्या से। कहानी में एक वकील व पुलिस के मध्य भी कमाल का सामंजस्य बिठाने का काम किया गया है। ज्यादातर ये अफवाह है कि पुलिस व वकील कभी दूसरे के मित्र नहीं हो सकते। अतः इन अफवाहों पर पूर्ण विराम लगाने का काम ये पुस्तक करेगी। पुस्तक में दोस्ती का सजीव चित्रण भी अलग – अलग रंगों में किया गया है। यह बताया गया है कि युवा अवस्था में क्या सावधानी आवश्यक है जिससे जीवन सही मार्ग पर चल सके।

पुस्तक के नाम को लेकर काफी रहस्य है। चर्चा ये भी है कि लेखक के गोलोकवासी पितामह का नाम रामेश्वर प्रसाद दूबे है जिनकी निर्मम हत्या कम ही उम्र में की गई थी। यह उनकी कहानी हो सकती है। कुछ का मानना है कि भगवान शिव के नाम से जुड़े होने के कारण यह पुस्तक धार्मिक दिशा में ले जाने का काम करेगी।

आप सभी को यह बताना चाहूंगा कि जल्द ही इन सभी रहस्यों से पर्दा उठने वाला है। पुस्तक जून के पहले सप्ताह में ऑनलाइन वेबसाइट पर प्रकाशित हो रही है। कहानी में अचानक बलात्कार जैसी घटना भी देखने को मिलती है। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसी घटनाओं में न्याय में देरी पीड़िता के जीवन में दिक्कतें खड़ा करता है।

मशहूर फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा ने भी पुस्तक को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लेखक को शुभकामनाएं भेंट करते हुए पुस्तक की बड़ी सफलता के साथ ही सत्ता व शासन से ऐसी घटनाओं पर शीघ्रता से न्याय देने हेतु फास्ट ट्रैक कोर्ट जैसी अन्य सुविधा मुहैया कराने की अपील की है।

फिल्म लेखक वेदिक ने ये कहा है कि पुस्तक हर वर्ग को पसंद आयेगी। पुस्तक की भाषा खड़ी बोली के साथ ही अवधी मिश्रित है। आसान संवाद से लोग खुद को जोड़ कहानी का लुफ्त उठा पाएंगे। उन्होंने पाठकों से अपना अपना कीमती वक्त देने के लिए अनुरोध भी किया है।