
तेल अवीव
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट को इजरायल ने खारिज कर दिया है, जिसमें 'फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार' का आरोप लगाया गया था। इजरायल ने इसे 'विकृत और झूठा' करार दिया और लेखकों को 'हमास प्रॉक्सी' बताकर खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र जांच आयोग की 72 पृष्ठों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजरायल गाजा में नरसंहारकारी कृत्य कर रहा है।
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से हमास के झूठ पर आधारित है, जिसे दूसरों ने दोहराया और प्रचारित किया। इजरायल इस विकृत और झूठी रिपोर्ट को स्पष्ट रूप से खारिज करता है और इस जांच आयोग को तत्काल समाप्त करने की मांग करता है। मंत्रालय ने आयोग के लेखकों पर यहूदी-विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि तीनों सदस्यों ने जुलाई में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, जबकि अध्यक्ष नवी पिल्लै का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है।
इजरायल विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इजरायल नागरिक हताहतों से बचने की कोशिश करता है और हमास पर गैर-लड़ाकों को खतरे में डालने का आरोप लगाया। मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट के झूठ के विपरीत, हमास ने ही इजरायल में नरसंहार की कोशिश की, 1200 लोगों की हत्या की, महिलाओं के साथ बलात्कार किया, परिवारों को जिंदा जलाया और हर यहूदी को मारने के अपने लक्ष्य की खुलेआम घोषणा की।
इजरायली विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को झूठे दावों की पुनरावृत्ति बताकर खारिज किया, जिन्हें स्वतंत्र शोध, जिसमें सितंबर की शुरुआत में जारी एक अध्ययन शामिल है, पहले ही खारिज किया जा चुका है। बार-इलान विश्वविद्यालय के बेगिन-सादात सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि नरसंहार के दावे त्रुटिपूर्ण आंकड़ों पर आधारित हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून को कमजोर करते हैं।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र आयोग ने दावा किया कि 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजरायल में हुए हमले क्रूर युद्ध अपराध थे, लेकिन इनसे इजरायल के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं था। इजरायल अपनी आबादी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इसके तरीकों में यह तथ्य ध्यान में रखना होगा कि उसने बलपूर्वक फिलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्जा किया है और अवैध रूप से बस रहा है, जिससे फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का हनन हो रहा है।
गाजा में धमाकों के बीच गुजरी रात; 4 लाख भागे
इजरायल की ओर से गाजा पर लगातार भीषण हमले जारी हैं। रात को इजरायल ने कुल 50 हमले गाजा पर किए हैं। इसके साथ ही बीते एक दिन के अंदर इजरायल ने गाजा पर 150 से ज्यादा हमले किए हैं। हालात ऐसे हैं कि गाजा से कुछ दिनों के अंदर ही 4 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। गाजा की आबादी 10 लाख के करीब थी और वहां से लगभग 4 लाख लोग पलायन कर गए हैं। स्पष्ट है कि करीब 40 फीसदी आबादी गाजा से पलायन कर चुकी है। इजरायल डिफेंस फोर्सेज की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बीते दो दिनों के अंदर ही 150 ठिकानों पर गाजा में हमले किए गए हैं।
बीती रात में ही 12 लोगों की इजरायली हमलों से मौत हो गई है। इजरायली सेना का कहना है कि उन्होंने अपने हमलों में सुरंगों को टारगेट किया है तो वहीं कई इमारतों को भी निशाना बनाया है। इजरायल का कहना है कि इन इमारतों में हमास के आतंकी छिपे हुए थे। इजरायली सेना ने कहा कि हमारे सुरक्षा बल लगातार आतंकियों को खत्म कर रहे हैं। अब तक आतंकी संगठन के कई ढांचों को ध्वस्त किया जा चुका है। गाजा को हमास का शक्ति केंद्र माना जाता है। ऐसे में इजरायल का कहना है कि हमास को खत्म करने के लिए गाजा को टारगेट करना होगा। सोमवार से ही इजरायल की सेना ने गाजा पर जमीनी हमले शुरू कर दिए हैं।
इससे पहले बीते सप्ताह इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हमला कर दिया था। इस हमले के बाद से मुसलमान देशों में गुस्सा है। मंगलवार को दोहा में 60 मुसलमान देशों की मीटिंग थी, जिसमें इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। इस मीटिंग में आने वाले देशों में पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, तुर्की और बहरीन जैसे मुस्लिम देश शामिल थे। इस दौरान मौजूद नेताओं ने कहा कि इजरायल के खिलाफ एकजुट होना होगा। यही नहीं पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों ने तो इस्लामिक नाटो की स्थापना की भी बात की। हालांकि किसी चीज पर सहमति नहीं बनी है बल्कि एक निंदा प्रस्ताव ही पारित किया जा सका।
आरोपों पर नई बहस
आयोग के तीन सदस्यों (नवी पिल्लै, क्रिस सिडोटी और मिलून कोठारी) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इजरायल-विरोधी पूर्वाग्रह के आरोपों पर नई बहस छेड़ दी है। 2014 में अमेरिकी कांग्रेस के 100 से अधिक सदस्यों ने उनके नेतृत्व की निंदा करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि परिषद इजरायल के प्रति पूर्वाग्रह का पैटर्न दर्शाता है और इसे मानवाधिकार संगठन के रूप में गंभीरता से नहीं लिया जा सकता।
कोठारी 2022 में विवाद के केंद्र में थे, जब उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया 'काफी हद तक यहूदी लॉबी द्वारा नियंत्रित' है और इजरायल की संयुक्त राष्ट्र सदस्यता पर सवाल उठाया। उनके बयान की यहूदी-विरोधी बताकर निंदा की गई। पिल्लै ने इस प्रतिक्रिया को 'दिखावा' बताकर खारिज किया और यहूदी-विरोधी चिंताओं को 'झूठ' करार दिया। सिडोटी की भी यहूदी समूहों पर यहूदी-विरोधी आरोपों को 'शादी में चावल की तरह' उछालने के लिए आलोचना हुई।
2021 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित इस आयोग को इजरायल और फिलिस्तीनी पक्षों द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के कथित उल्लंघनों की जांच का कार्य सौंपा गया था। लेकिन इसके निष्कर्षों ने मुख्य रूप से इजरायल को निशाना बनाया, जिसके कारण यरुशलम, दुनिया भर के यहूदी संगठनों और कई पश्चिमी सरकारों ने इसकी निंदा की। यह आयोग अभूतपूर्व था, क्योंकि इसकी कोई निश्चित समाप्ति तिथि नहीं थी और यह परिषद की सर्वोच्च स्तर की जांच थी।