
उज्जैन
एमपी में सिंहस्थ 2028 को लेकर प्रशासन की तैयारियां चल रही हैं। इंदौर शहर में अलग-अलग जगह होल्डिंग जोन बनाने का प्रस्ताव है, ताकि उज्जैन में भीड़ बढ़ने पर बाहरी लोगों को यहां रोका जाए। जमीन हासिल करने के बाद सभी विभाग यहां हर तरह की सुविधा का इंतजाम करेंगे। पुलिस ने बल व अन्य संसाधनों के साथ हाई-वे चौकियां, सहायता केंद्र व इंट्रीग्रेटेड कमांड सेंटर स्थापित करने की अनुमति मांगी है।
एक-दो दिन तक रोकने की रहेगी व्यवस्था
होल्डिंग जोन बनाने के लिए कुछ जगह चिन्हित की है। यहां 50 हजार से ज्यादा लोगों को रोकने के लिए विश्राम स्थल, कुर्सियां, सुविधागृह, पंखे, कूलर, पेयजल आदि की व्यवस्था की जाएगी। उज्जैन में भीड़ अधिक होने पर बाहरी लोगों को यहां ठहराया जाएगा। एक-दो दिन तक रोकने की व्यवस्था रहेगी।
एडिशनल कमिश्नर मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक, लवकुश चौराहे पर लेफ्ट साइड की खाली जमीन, रिंग रोड पर रोबोट चौराहे के पास आइडीए की जमीन, मांगलिया व तेजाजी नगर में भी होल्डिंग एरिया के लिए जमीन मांगी है। उज्जैन में हुई बैठकों में कई प्रस्ताव मंजूर हो चुके हैं।
इतने इंतजाम की दरकार
-सुपर कॉरिडोर, लवकुश चौराहे के पास करीब 7 एकड़ जमीन इंट्रीगेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर के लिए रहेगी, ताकि वहां से नजर रखी जा सके। पुलिस, प्रशासन व निगम के अफसर यहां से सभी गतिविधियां संचालित करेंगे।
-पूरे सांवेर रोड को सीसीटीवी सर्विलेंस में लाएंगे।
-महालक्ष्मी नगर, सुपर कॉरिडोर व धार रोड को थाने के रूप में मंजूर करने की मांग है।
-7 हाई-वे चौकियां चाहिए। देवगुराड़िया, नेमावर रोड, खंडवा रोड पर तेजाजी नगर, एबी रोड पर राऊ के पास व अन्य जगह लगेगी।
-रिंग रोड, बायपास पर ट्रैफिक सहायता केंद्र स्थापना की अनुमति मांगी है।
-करीब 2 हजार पुलिसकर्मियों का अतिरिक्त बल दो महीने पहले चाहिए। साथ ही 20 जीप, 20 बसें व ट्रक फोर्स व सामान के परिवहन के लिए चाहिए।
-रास्ते में खराब हुए वाहनों को हटाने के लिए 5 बड़ी क्रेन लगेंगी।
शिप्रा के जल से उगाए 50 हजार बांस
उज्जैन में सिंहस्थ 2028 में इस बार बहुत कुछ अलग देखने को मिलेगा. इस बार धर्मध्वजाओं को लहराने के लिए पूरे उज्जैन में 50 हजार से ज्यादा बांस उगाए गए हैं, शिप्रा नदी के किनारे 10.72 हेक्टेयर में पूरा जंगल उगाया गया है, यहां शिप्रा नदी के पानी से बांस उगाए हैं, जहां 30 फीट ऊंचे बांस लगाए गए हैं, यह बांस उज्जैन वन मंडल की तरफ से निशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इन बांसों से सिंहस्थ में आने वाले सभी अखाड़े और साधु संतों को धर्मध्वजा लहराने के लिए दिया जाएगा. इन बांसों की बारीकी से वन विभाग की तरफ से देखरेख भी की जा रही है.
उज्जैन में 7 साल पहले लगे थे यह बांस
बताया जा रहा है कि उज्जैन में शिप्रा नदीं के किनारे यह बांस 7 साल पहले ही लगा दिए गए थे. जिन्हें 30 फीट की ऊंचाई तक जाने देना है, हालांकि अभी इनकी ऊंचाई 20 से 25 फीट ही हुई है. अभी अगले दो साल और यह बांस लगे रहेंगे, जिससे इनकी लंबाई 30 फीट से ज्यादा हो जाएगी. वन विभाग की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक सिंहस्थ महाकुंभ शुरू होने से तीन महीने पहले ही इन बांसों की कटाई शुरू हो जाएगी और उन्हें व्यवस्थित कर वन विभाग की देखरेख में रखा जाएगा, जबकि बाद में कलेक्टर और मेला अधिकारी को यह बांस सौंप दिए जाएंगे, जहां सिंहस्थ मेला में 13 अखाड़ों समेत जितने भी साधु-संत आएंगे उन्हें यह बांस धर्म ध्वजा लहराने और अपने-अपने शिविरों में झंडा लगाने के लिए दिए जाएंगे. वन विभाग ने भैरवगढ़ मार्ग पर शिप्रा नदी के पास फिलहाल इन बांसों की पूरी देखरेख की जा रही है.
बांस का धार्मिक महत्व
बता दें कि बांस का अपना अलग धार्मिक महत्व होता है, हिंदू धर्म में बांस पर ही ध्वजा लगाई जाती है. ऐसे में सिंहस्थ के दौरान धर्मध्वजाएं इन्हीं बांसों पर लगेगी, क्योंकि यह आस्था का भाव माना जाता है. 10.72 हेक्टेयर में बांस का यह पूरा जंगल फैला है, बताया जा रहा है कि यह बांस बेंबोसा बाल्कोअ प्रजाति, जिसका बीज 2018 में रीवा की फ्लोरीकल्चर लेब से लाया गया था, जहां उज्जैन में कुल 5600 बांस के पौधों का प्लाटेंशन किया गया था, बताया जा रहा है कि यहां वन मंडल की तरफ से धार्मिक महत्व का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है और बांस के सभी झुंडों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
क्योंकि एक बांस के पेड़ से 20 से 25 बांस निकलते हैं, लेकिन यह सब बिना कटे फटे होने चाहिए, इसलिए यहां पूरी देखरेख की जा रही है. क्योंकि 50 हजार से ज्यादा बांसों में केवल शिप्रा नदीं का ही जल सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया गया है.