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नौकरियों के झांसे के बढ़ते मामलों पर HC सख्त, सरकारी नौकरियों का झांसा देकर पैसे ऐंठने के आरोपों की पड़ताल की जा रही

चंडीगढ़ 
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि पूर्व जारी आदेश के तहत राज्य में रोजगार कार्यालयों की कार्यक्षमता को लेकर विस्तृत जानकारी हाईकोर्ट को 2 जुलाई तक सौंपी जाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश जॉब स्कैम से संबंधित एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने इस मामले की सुनवाई के दौरान चिंता व्यक्त की कि राज्य के रोजगार कार्यालय अपेक्षित उद्देश्य के लिए कार्यशील नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि यह व्यापक जांच का हिस्सा है, जिसमें हरियाणा में फर्जीवाड़े के जरिए सरकारी नौकरियों का झांसा देकर पैसे ऐंठने के आरोपों की पड़ताल की जा रही है।

यह मामला 27 जून, 2024 को फतेहाबाद में दर्ज हुआ था जिसमें आरोपी सुशील कुमार पर लगभग 15 लोगों से सरकारी नौकरी दिलाने का झूठा वायदा करने व पैसे ऐंठने का आरोप है। धोखाधड़ी में पैसे के लेन-देन के लिए एक अन्य हरप्रीत सिंह के बैंक खाते का इस्तेमाल किया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा में फर्जी नौकरियों के झांसे के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे राज्य की रोजगार व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। इस संदर्भ में कोर्ट ने राज्य के रोजगार कार्यालयों की – कार्यप्रणाली की गहराई से समीक्षा करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार मुख्य सचिव को यह विवरण शपथ पत्र के माध्यम से देना होगा कि पिछले 3 वर्षों में रोजगार कार्यालयों के जरिए कितने लोगों को रोजगार मिला, 28 फरवरी, 2025 तक कितने लोग इन कार्यालयों में बेरोजगार के रूप में पंजीकृत हैं, इन कार्यालयों में कितनी जनशक्ति कार्यरत है और इनको संचालित करने में राज्य सरकार द्वारा कितनी राशि खर्च की गई है।

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