झारखंड/बिहारराज्य

जमुई सीट पर 40 साल बाद खिला था कमल, BJP को दिलाई जीत श्रेयसी सिंह ने

जमुई
 बिहार की जमुई विधानसभा जिले की हॉट सीट के रूप में जानी जाती है। समाजवादियों और कांग्रेसियों का गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्र में 2020, यानी भाजपा के गठन के 40 साल के बाद पहली बार कमल खिलने में कामयाब हुआ। अब बात इस क्षेत्र के पिछले चुनावी इतिहास की करें तो 1995 में पहली बार इस सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में वीरेंद्र सिंह ने चुनाव लड़ा और उन्हें महज पांच हजार वोट से ही संतोष करना पड़ा।

इसके बाद गठबंधन का दौर शुरू होने पर यह सीट जदयू के खाते में चली गई। फिर यहां से नरेंद्र सिंह ने जदयू प्रत्याशी के तौर पर 6379 वोट से जीत दर्ज की। काफी मशक्कत के बाद 2015 में यह सीट भाजपा के खाते में आई और पार्टी ने निवर्तमान विधायक अजय प्रताप पर भरोसा जताया, लेकिन पार्टी द्वारा दूसरी बार किया गया यह प्रयोग असफल हुआ और अजय प्रताप को हार का सामना करना पड़ा।

2020 के चुनाव में बाजी आखिर भाजपा के हाथ आ ही गई और पहली बार इस विधानसभा क्षेत्र से श्रेयसी सिंह ने भाजपा विधायक के तौर पर जीत हासिल की। अब देखने वाली बात यह होगी कि इतने लंबे अरसे और इतने कठिन प्रयास के बाद खिला कमल यहां खिलकर बड़ा होता है या इसकी चमक कम होती चली जाती है, यह तो इस चुनाव में ही पता चल पाएगा।

1952 में दुर्गा मंडल बने प्रथम विधायक

1952 से ही इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं। त्रिपुरारी सिंह और सुशील कुमार सिंह को छोड़कर हर बार के चुनाव में यहां सत्ता की धुरी अलग-अलग नेताओं के साथ घूमती रही है। दुर्गा मंडल इस विधानसभा क्षेत्र से 1952 में हुए प्रथम चुनाव में कांग्रेस पार्टी से विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। इसके बाद हरी प्रसाद शर्मा और गुरु रामदास भी कांग्रेस पार्टी से विधायक बने।

त्रिपुरारी प्रसाद सिंह ने चार बार इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद नरदेव प्रसाद भगत ने विधायक के रूप में जीत दर्ज की। सुशील कुमार सिंह उर्फ हीरा जी ने भी विधायक के तौर पर तीन बार प्रतिनिधित्व किया। इसी विधानसभा क्षेत्र से अर्जुन मंडल, नरेंद्र सिंह, उनके मंझले पुत्र अभय सिंह, बड़े पुत्र अजय प्रताप और विजय प्रकाश ने भी जीत हासिल की।

त्रिपुरारी सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष पद को किया सुशोभित

इस विधानसभा क्षेत्र से त्रिपुरारी सिंह 1967 से लेकर 1977 तक चार बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। उन्होंने अलग-अलग विभागों के मंत्री के अलावा विधानसभा अध्यक्ष के पद को सुशोभित करते करने का काम किया। नरदेव प्रसाद भगत ने 1980 में इस विधानसभा क्षेत्र से पहले निर्दलीय विधायक के तौर पर जीत हासिल की।

सुशील कुमार सिंह उर्फ हीरा जी ने पहली बार 1985 में कांग्रेस की टिकट से विधायक के तौर पर जीत दर्ज की। 1990 में जनता दल की लहर में भी सुशील कुमार सिंह कांग्रेस के टिकट से दोबारा विधायक बनने में कामयाब हुए। 1995 में अर्जुन मंडल ने जनता दल की टिकट से जीत दर्ज कर बिहार सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री के पद को सुशोभित किया।

वर्ष 2000 में नरेंद्र सिंह, 2000 के मई में हुए उप चुनाव में सुशील कुमार सिंह, 2005 में अभय सिंह, 2010 में अजय प्रताप और 2015 में विजय प्रकाश ने विधायक के तौर पर यहां से जीत दर्ज की। 2020 में इस सीट से पूर्व रेल राज्य मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह की छोटी पुत्री श्रेयसी सिंह ने भाजपा की टिकट से 41,000 से अधिक मतों से जीत हासिल कर फिलहाल प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

वर्ष 1952 से लेकर 2020 तक के बीच निर्वाचित प्रत्याशी और दल

वर्ष निर्वाचित प्रत्याशी दल
1952 दुर्गा मंडल कांग्रेस
1957 हरिप्रसाद शर्मा कांग्रेस
1962 गुरु रामदास कांग्रेस
1967 त्रिपुरारी सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1969 त्रिपुरारी सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1972 त्रिपुरारी सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1977 त्रिपुरारी सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1980 नरदेव प्रसाद भगत निर्दलीय
1985 सुशील कुमार सिंह कांग्रेस
1990 सुशील कुमार सिंह कांग्रेस
1995 अर्जुन मंडल जनता दल
2000 नरेंद्र सिंह जदयू
2000 (उपचुनाव) सुशील कुमार सिंह जदयू
2005 (फरवरी) विजय प्रकाश राजद
2005 (नवंबर) अभय सिंह जेडीयू
2010 अजय प्रताप जेडीयू
2015 विजय प्रकाश राजद
2020 श्रेयसी सिंह भाजपा

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button