
नेपाल
नेपाल में कई दिनों तक चले खूनी प्रदर्शनों के बाद अब हिंसा में कमी आई है। जेन-जी प्रदर्शनकारी नई सरकार के गठन में लग गए हैं। अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए हर दिन नया नाम सामने आ रहा है। काठमांडू मेयर बालेन शाह, पूर्व सीजेआई सुशीला कार्की के बाद अब 54 वर्षीय कुलमान घिसिंग रेस में सबसे आगे हो गए हैं। पहले बालेन शाह ने अपना नाम वापस ले लिया तो वहीं, सुशीला कार्की की उम्र उनके प्रमुख बनने के आड़े आ रही है।
कुलमान घिसिंग नेपाल के बिजली बोर्ड के पूर्व प्रमुख हैं। उन्हें पड़ोसी देश की बिजली व्यवस्था को सुधारने का श्रेय दिया जाता है। उनके ही नेतृत्व में नेपाल को बिजली की कमी से छुटकारा मिला और उन्हें जेन-जी प्रदर्शनकारियों का विश्वास भी हासिल है। घिसिंग ने एक अंतरिम सरकार के गठन की मांग की है, जिसमें स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति हों और उसमें जेन-जी युवाओं को भी शामिल किया जाए। इसके साथ ही तत्काल चुनावों की घोषणा भी की जाए। इसी वजह से प्रदर्शनकारी जेन-जी समूह ने के वे फेवरेट बन गए और अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए उनके नाम पर विचार हो रहा।
इससे पहले, पूर्व सीजेआई सुशीला कार्की का नाम रेस में सबसे आगे था। हालांकि, अब लगता है कि प्रदर्शनकारियों का एक गुट उनके नाम से सहमत नहीं है। उनका मानना है कि चूंकि सुशीला कार्की की उम्र 73 साल है तो ऐसे में वह नेपाल का नेतृत्व करने के लिए बहुत बुजुर्ग हैं। साथ ही, संविधान पूर्व जजों को प्रधानमंत्री बनाने से भी रोकता है। ऐसे में उनके नाम की जगह कुलमान घिसिंग को चुना गया है। हालांकि, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
कौन हैं कुलमान घिसिंग
25 नवंबर 1970 को बेथन, रामेछाप में जन्मे घिसिंग ने भारत के जमशेदपुर में क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में नेपाल में पुलचौक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल को बढ़ाने के लिए एमबीए की पढ़ाई भी की। नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे आगे चल रहे 54 वर्षीय कुलमान घिसिंग देश के बिजली बोर्ड के पूर्व प्रमुख हैं। काठमांडू घाटी में लंबे समय से चली आ रही बिजली कटौती को खत्म करने के लिए उन्हें व्यापक प्रशंसा मिली थी। उन्होंने साल 1994 में एनईए में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया।