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ऑपरेशन सिंदूर में देसी टेक्नोलॉजी का कमाल, WhatsApp छोड़ कर ‘संभव’ फोन से आतंकवादियों का सफाया

नई दिल्ली 
भारतीय सेना ने हाल ही में एक खुफिया और सफल मिशन 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया है, जिसने भारत की सुरक्षा क्षमताओं में एक नया मील का पत्थर जोड़ा है। इस ऑपरेशन में, जवानों ने विदेशी ऐप्स जैसे व्हाट्सएप (WhatsApp) की जगह स्वदेशी और पूरी तरह से सुरक्षित 'संभव' फोन का इस्तेमाल किया। यह कदम भारत की सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।

'ऑपरेशन सिंदूर' क्या था?
मई 2025 में हुए इस ऑपरेशन का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेना था। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस ऑपरेशन को 'ग्रे जोन' ऑपरेशन बताया, जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने मिलकर काम किया।

'संभव' फोन क्यों बना हीरो?
किसी भी खुफिया ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती होती है, संचार को सुरक्षित रखना। पहले भारतीय सेना के अधिकारी बातचीत के लिए व्हाट्सएप जैसे विदेशी ऐप्स का इस्तेमाल करते थे, जिससे जासूसी और डेटा लीक होने का खतरा बना रहता था। 'संभव' (Secure Army Mobile Bharat Version) फोन ने इस खतरे को खत्म कर दिया। यह फोन पूरी तरह से भारत में बनाया गया है और इसकी सुरक्षा इतनी मजबूत है कि इसे हैक करना लगभग नामुमकिन है।

'एम-सिग्मा' (M-Sigma) ऐप: इस फोन में एक खास ऐप है, जो बिल्कुल व्हाट्सएप की तरह काम करता है, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित है। जवान इसके जरिए बिना किसी डर के मैसेज, फोटो और वीडियो भेज सकते हैं। अटूट कनेक्शन: यह 5G टेक्नोलॉजी पर काम करता है और किसी भी नेटवर्क पर बिना रुकावट के चलता है। मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन: इसमें कई स्तरों की सुरक्षा कोडिंग है, जो बातचीत को पूरी तरह से गोपनीय रखती है।

सेना प्रमुख ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान कमांडरों से लेकर जवानों तक, सभी ने बातचीत और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केवल 'संभव' फोन का ही इस्तेमाल किया, जिससे ऑपरेशन को गुप्त रखने और तेजी से काम करने में मदद मिली।

 

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