
पटना
बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है. मामले पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. बता दें कि कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी. इसमें याचिकाकर्ता ने कोर्ट से धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के लिए नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की है. याचिका दाखिल होते ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है.
4 सप्ताह में मांगा जवाब
याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. इसके लिए कोर्ट ने आयोग को 4 सप्ताह का समय दिया है. याचिका में केंद्र को राजनीति में भ्रष्टाचार, जातिवाद और अपराधीकरण के खतरे को कम करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.
राजनीतिक दल बनेंगे पक्षकार
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लिया है. याचिका के बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों पर सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि मामले में सभी रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया जाए. कोर्ट के इस रुख से साफ है कि राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन को लेकर काफी सजग है.
क्यों दाखिल हुई याचिका?
एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि 13 जुलाई को इनकम टैक्स ने दो राजनीतिक दलों इंडियन सोशल पार्टी और युवा आत्म निर्भर दल पर रेड डाली, तो 500 करोड़ की ब्लैक मनी का पता चला। याचिका में तर्क दिया गया है कि ऐसे में फर्जी राजनीतिक दल न केवल लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं, बल्कि कट्टर अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, मादक पदार्थों के तस्करों और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों से भारी मात्रा में धन लेकर उन्हें पदाधिकारी नियुक्त करके देश की छवि भी खराब कर रहे हैं।