झारखंड/बिहारराज्य

छठ पर्व पर ट्रेनों में उमड़ी भारी भीड़, यात्री टॉयलेट में खड़े होकर कर रहे सफर

पटना 

 छठ पूजा का त्यौहार है, ऐसे में तमाम कामगार मजदूर छठ पूजा के लिए बिहार अपने घर को जा रहे हैं. लोग स्पेशल ट्रेनों की जगह रेगुलर चलने वाली ट्रेनों से यात्रा कर रहे हैं. रेगुलर चलने वाली ट्रेनों में भारी भीड़ है, लोग गेट पर और टॉयलेट तक में बैठे हुए हैं. घर पहुंचने के लिए लोग रातभर खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं, बैठने तक की जगह नहीं है.

ट्रेनों में भीड़ को लेकर DDU जंक्शन से  ग्राउंड रिपोर्ट. दरअसल, रेलवे के दावों के इतर जमीनी हकीकत कुछ और है. ट्रेनों में बिहार जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ है. कोई 15 से 20 घंटे खड़े होकर, तो कोई टॉयलेट या फर्स पर बैठ कर यात्रा करने को मजबूर है. कमोबेश हर रेगुलर ट्रेन का यही हाल है.

गेट पर लटककर जा रहे हैं घर

यात्री विकास सिंह ने  बातचीत में बताया कि वह बनारस से आ रहे हैं और दिलदारनगर जा रहे हैं. वह बनारस रहकर पढ़ाई करते हैं. उन्होंने बताया कि ट्रेन में भीड़ बहुत अधिक है. इसकी वजह से गेट पर लटककर जा रहे हैं. बनारस स्टेशन पर भी भीड़ थी. इसलिए यहां ऑटो से डीडीयू जंक्शन आए, ताकि भीड़ कम हो, लेकिन यहां भी भीड़ वैसे ही है. वहीं उन्होंने बताया कि एक तो ट्रेन लेट है, दूसरा बैठने को भी जगह नहीं है. छठ पूजा मेंयूपी-बिहार के लोग घर जाते हैं. रेलवे को इस पर ध्यान देना चाहिए. भीड़ की वजह से कहीं किसी यात्री के साथ हादसा न हो जाए. स्पेशल ट्रेनें और चलानी चाहिए.

टॉयलेट में भी घुसे हुए हैं लोग

एक और यात्री इम्तियाज अहमद ने तचीत में बताया कि हम मध्य प्रदेश से आ रहे हैं, लेकिन यहां आए तो देखा  बनारस में भी भीड़ थी और डीडीयू जंक्शन पर भी भीड़ है. ट्रेन भी बहुत लेट चल रही है. हम कई घंटों से खड़े होकर आ रहे हैं. हम सभी यात्रियों का बुरा हाल है. सभी डब्बे खचाखच भरे हुए हैं. लोग एक दूसरे के ऊपर बैठे हुए हैं. टॉयलेट में भी लोग घुसे हुए हैं. जैसे तैसे लोग छठ पूजा पर घर पहुंचना चाहते हैं.

हादसे की बढ़ गई है आशंका 

बता दें कि छठ पूजा जैसे बड़े पर्व पर रेलवे की सीमित व्यवस्था यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है. भीड़ के चलते हादसे की आशंका भी बढ़ गई है. जरूरत है कि रेलवे प्रशासन अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनें चलाए और भीड़ प्रबंधन पर ठोस कदम उठाए, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और सुगमता से अपने घर पहुंच सकें.

 

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