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रोहित-कोहली का स्वर्णिम युग: सिर्फ रिकॉर्ड नहीं, बल्कि इस वजह से याद रखा जाएगा!

नई दिल्ली 
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य कोच ग्रेग चैपल का मानना ​​है कि विराट कोहली का जुनून और व्यक्तिगत गौरव को अधिक तवज्जो नहीं देना तथा रोहित शर्मा की विनम्रता और कलात्मकता सिर्फ रिकॉर्ड बुक में ही नहीं, बल्कि प्रशंसकों के दिलों में भी हमेशा के लिए अंकित रहेगी। अपने आखिरी ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर आए रोहित और कोहली करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं और चैपल को लगता है कि इस जोड़ी की विरासत आंकड़ों से कहीं आगे जाती है।

चैपल ने लिखा, ‘‘अब जैसे-जैसे क्रिकेट की दुनिया आगे बढ़ेगी तो नए नाम उभरेंगे। नए कप्तान नेतृत्व करेंगे, लेकिन यह स्वर्णिम अध्याय – कोहली-रोहित युग – सिर्फ रिकॉर्ड बुक में ही नहीं, बल्कि हर उस प्रशंसक के दिलों में अंकित रहेगा जो समझता था कि वे किस लिए खड़े हैं।’’ पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज चैपल का मानना ​​है कि कोहली को सिर्फ महान बल्लेबाजों की श्रेणी में रखना उनके साथ अन्याय होगा।

उन्होंने लिखा, ‘‘कोहली कभी सिर्फ बल्लेबाज नहीं थे। वह एक मूवमेंट थे। उन्होंने वो दिखाया जो बहुत कम लोग कर पाते हैं – एक योद्धा जैसी मानसिकता। उन्होंने भारत की एकदिवसीय टीम को एक तेज, केंद्रित और पूरी तरह से फिट टीम में बदल दिया जो घर हो या बाहर, जीतने के लिए खेलती थी।’’ इसके बाद उन्होंने उनके खेल और व्यक्तित्व का विश्लेषण किया और बताया कि दोनों किस चीज के प्रतीक थे।

चैपल ने लिखा, ‘‘कोहली का जुनून, उनका समझौता नहीं करना, आंकड़ों से अधिक विरासत में उनका विश्वास। रोहित की शान, उनकी विनम्रता और उनकी वापसी की कहानी, जिसने हम सभी को याद दिलाया कि क्रिकेट में और जिंदगी में – टाइमिंग ही सब कुछ है।’’ चैपल यह बताना नहीं भूले कि कोहली अपने कुछ पूर्ववर्तियों के विपरीत आंकड़ों के मोह में नहीं थे।

उन्होंने लिखा, ‘‘जो बात उन्हें (कोहली) उनसे पहले आए दिग्गजों से अलग करती थी वह थी व्यक्तिगत आंकड़ों को अधिक तवज्जो नहीं देना। जहां दुनिया शतकों और कुल स्कोर की वाहवाही कर रही थी, वहीं कोहली को सिर्फ नतीजों की परवाह थी। उन्होंने एक बार कहा था कि वह भारत के लिए खेलते हैं रिकॉर्ड के लिए नहीं – एक ऐसा बयान जिसने उनके नेतृत्व को परिभाषित किया। व्यक्तिगत उपलब्धियां अक्सर भारत की क्रिकेट कहानी का केंद्र बिंदु होती थीं, लेकिन कोहली कुछ बड़ा चाहते थे। उनकी पहचान विरासत थी, आंकड़े नहीं।’’

रोहित के मामले में, पारी की शुरुआत उन्हें लाल गेंद के एक ऐसे दिग्गज खिलाड़ी में बदल गई जो विरोधियों को बेहद सटीकता से ध्वस्त कर सकता था। चैपल ने लिखा, ‘‘जहां कोहली का उदय तेजी से हुआ और उनके जुनून ने उन्हें परिभाषित किया तो वहीं रोहित का सफर धीमी गति से महानता की ओर बढ़ने वाला था। वर्षों तक उन्होंने सीमित ओवरों के क्रिकेट में अपनी चमक बिखेरी। उनकी टाइमिंग, संयम और प्रतिभा ने उन्हें घर-घर में जाना-पहचाना नाम बना दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह आसान नहीं था। उन्होंने 2007 में पदार्पण किया था, लेकिन प्रदर्शन में निरंतरता की कमी और मध्यक्रम के संघर्ष ने उन्हें अपनी जगह पक्की करने से रोक दिया, खासकर बड़े टूर्नामेंट में। फिर 2013 आया। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में उन्हें पारी का आगाज करने का मौका दिया गया। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ इस मौके का फायदा उठाया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोहरा शतक लगाया। शानदार शतक, जिनमें से पहला शतक भी उसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आया था।’’

उन्होंने आगे लिखा, ‘‘स्विंग करती गेंद के खिलाफ अचानक सहजता आ गई। कुछ बदल गया था – सिर्फ तकनीक में ही नहीं, बल्कि विश्वास में भी। इसके बाद जो हुआ वह भारतीय क्रिकेट में सबसे उल्लेखनीय बदलाव में से एक था। रोहित ने ना सिर्फ एकदिवसीय क्रिकेट के साथ तालमेल बिठाया बल्कि उस पर विजय भी प्राप्त की।’’

 

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