देश

मोदी कैबिनेट की बड़ी मंजूरी: कच्छ में बनेंगी 2 नई रेल लाइनें, स्वनिधि योजना 2030 तक बढ़ी

नई दिल्ली

देश के लाखों रेल यात्रियों और व्यापार जगत के लिए  दिन एक बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भारतीय रेलवे के चार बेहद अहम प्रोजेक्ट्स पर मुहर लगा दी गई है. 12,328 करोड़ रुपये की भारी-भरकम लागत वाले इन प्रोजेक्ट्स में गुजरात के कच्छ में एक बिल्कुल नई रेल लाइन बिछाना और कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार व असम में मौजूदा रेल नेटवर्क को कई गुना मजबूत बनाना शामिल है. यह फैसला न केवल यात्रियों के सफर को तेज और आरामदायक बनाएगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नई रफ्तार देगा.

रेगिस्तान में दौड़ेगी रेल: कच्छ के लिए सबसे बड़ी सौगात

इन चार प्रोजेक्ट्स में जो सबसे बड़ा और रोमांचक प्रोजेक्ट है, वह है गुजरात के कच्छ में एक बिल्कुल नई रेल लाइन बिछाना. यह लाइन देशालपर-हाजीपीर-लूना और वायोर-लखपत को जोड़ेगी. यह प्रोजेक्ट कच्छ के लिए एक 'गेम-चेंजर' साबित होगा क्योंकि यह पर्यटन और उद्योग, दोनों को पंख लगा देगा. अब तक कच्छ के कई इलाके ऐसे थे, जहां पहुंचना बहुत मुश्किल था, लेकिन इस एक रेल लाइन से कच्छ का पूरा नक्शा ही बदल जाएगा.

इस नई रेल लाइन से कच्छ के कुछ सबसे खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थान सीधे ट्रेन नेटवर्क से जुड़ जाएंगे. अब आप आसानी से ट्रेन पकड़कर दुनिया भर में मशहूर सफेद रेगिस्तान यानी कच्छ का रण, 5000 साल पुराने हड़प्पा कालीन शहर धोलावीरा, भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित प्राचीन कोटेश्वर मंदिर, पवित्र नारायण सरोवर और ऐतिहासिक लखपत किले तक पहुंच सकेंगे. इसके साथ ही, कच्छ का यह इलाका नमक, सीमेंट और कोयला जैसे खनिजों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. 

रेल लाइन बनने से इन सभी चीजों को मालगाड़ियों से तेजी से और सस्ते में देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सकेगा. इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर 2526 करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह तीन साल में पूरा होने की उम्मीद है. 145 किलोमीटर लंबी इस लाइन पर 13 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, जिससे 866 गांवों की करीब 16 लाख की आबादी को सीधा फायदा पहुंचेगा.
अब नहीं रुकेगी रफ्तार: 3 राज्यों में डबल/ट्रिपल होंगी पटरियां

नई लाइन के अलावा, कैबिनेट ने तीन और बड़े 'मल्टी-ट्रैकिंग' प्रोजेक्ट्स को भी मंजूरी दी है. 'मल्टी-ट्रैकिंग' का सीधा सा मतलब है, जहां अभी एक या दो पटरियां हैं, वहां अब तीन या चार पटरियां बिछाई जाएंगी. इससे ट्रेनों को क्रॉसिंग के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा और मालगाड़ियां और पैसेंजर ट्रेनें, दोनों तेज रफ्तार से दौड़ेंगी.

इन प्रोजेक्ट्स में पहला है तेलंगाना और कर्नाटक को जोड़ने वाली सिकंदराबाद-वाडी लाइन, जो देश के सबसे व्यस्त रूटों में से एक है. इस पर 5012 करोड़ रुपये की लागत से तीसरी और चौथी लाइन बिछाई जाएगी, जो पांच साल में पूरी होगी. 

दूसरा प्रोजेक्ट बिहार में भागलपुर-जमालपुर रूट पर तीसरी लाइन बिछाने का है. 1156 करोड़ रुपये की लागत वाला यह प्रोजेक्ट तीन साल में पूरा होगा और इससे पटना व पूर्वी भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों की आवाजाही सुगम होगी. 

तीसरा बड़ा प्रोजेक्ट पूर्वोत्तर की जीवनरेखा माने जाने वाले फरकेटिंग-न्यू तिनसुकिया (असम) रूट पर पटरियों को डबल करने का है. 3634 करोड़ रुपये की लागत वाला यह काम चार साल में पूरा होगा, जिससे असम और बाकी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कनेक्टिविटी और तेज हो जाएगी.
आम आदमी और देश को क्या मिलेगा फायदा?

इन चारों प्रोजेक्ट्स का असर सिर्फ यात्रियों के सफर पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि इसका फायदा पूरे देश को मिलेगा. सबसे पहले, इन प्रोजेक्ट्स के निर्माण के दौरान ही करीब 251 लाख मानव-दिवस (2.51 crore man-days) का सीधा रोजगार पैदा होगा, जिससे लाखों लोगों को काम मिलेगा. इसके साथ ही, इन महत्वपूर्ण रूट्स पर लाइनें बढ़ने से हर साल 6.8 करोड़ टन अतिरिक्त माल ढोया जा सकेगा, जिसमें कोयला, सीमेंट, स्टील, खाद और कृषि उत्पाद जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं. इससे व्यापार तेज होगा और महंगाई कम करने में भी मदद मिलेगी.

यह सभी प्रोजेक्ट्स पर्यावरण के लिए भी एक बहुत बड़ा कदम हैं. रेलवे, ट्रांसपोर्ट का सबसे इको-फ्रेंडली तरीका है. इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने से हर साल 56 करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी और 360 करोड़ किलो कार्बन उत्सर्जन कम होगा, जो 14 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. यह सभी प्रोजेक्ट्स 'पीएम-गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान' का हिस्सा हैं, जिनका लक्ष्य सिर्फ पटरियां बिछाना नहीं, बल्कि इन इलाकों में विकास की नई संभावनाएं पैदा करना है, ताकि लोग आत्मनिर्भर बन सकें.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button