
हैदराबाद
तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी की सजा को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें जमानत भी दे दी है। रेड्डी पर अवैध लौह अयस्क खनन का आरोप था। हाईकोर्ट ने रेड्डी के साथ दोषी ठहराए गए तीन अन्य लोगों को भी जमानत दे दी है। सीबीआई की विशेष अदालत ने पहले रेड्डी और अन्य को दोषी ठहराया था।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 6 मई को जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य लोगों को दोषी माना था। इनमें बी वी श्रीनिवास रेड्डी, वी डी राजगोपाल और महफूज अली खान शामिल हैं। बी वी श्रीनिवास रेड्डी जनार्दन रेड्डी के रिश्तेदार हैं और ओएमसी के प्रबंध निदेशक हैं। वी डी राजगोपाल आंध्र प्रदेश सरकार में खान एवं भूविज्ञान निदेशक थे। महफूज अली खान जनार्दन रेड्डी के सहायक रहे। अदालत ने इन सभी को सात साल की जेल की सजा सुनाई थी।
इसके बाद जनार्दन रेड्डी और अन्य ने हाईकोर्ट में अपील की। उन्होंने सजा को निलंबित करने और जमानत देने की मांग की। अदालत ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया है। अदालत ने उन्हें 10-10 लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर जमानत दी है। अदालत ने यह भी कहा है कि वे अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते।
सीबीआई ने इस मामले में 8 दिसंबर 2009 को एफआईआर दर्ज की थी। जनार्दन रेड्डी और अन्य के खिलाफ अपने चार्जशीट में केंद्रीय एजेंसी ने उन पर खनन पट्टे की सीमा चिह्नों के साथ छेड़छाड़ करने और कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व वन क्षेत्र में अवैध रूप से खनन करने का आरोप लगाया। सीबीआई ने पहले कहा था कि आरोप है कि आरोपियों ने एक-दूसरे के साथ आपराधिक साजिश रची और सरकारी जमीनों और अन्य निजी व्यक्तियों की जमीनों में आपराधिक रूप से घुसपैठ करके लौह अयस्क के अवैध खनन के अपराध किए और इस तरह सरकार को 800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया।