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बजट 2025: देश-विदेश में पीले पत्थर के रूप में प्रसिद्ध जैसलमेर के पत्थर बिजनेस को संजीवनी की आस

राजस्थान

राजस्थान के आगामी बजट पर जैसलमेर के पत्थर व्यापारियों की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इस बजट से उनके कारोबार को नई दिशा और प्रोत्साहन मिल सकता है। जैसलमेर का यलो मार्बल, जो देशभर में प्रसिद्ध है, अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। इसके अलावा, अन्य पत्थरों की आपूर्ति में भी कमी आ रही है, और नए खनन क्षेत्रों की तलाश भी नहीं हो पा रही है। इस स्थिति में, पत्थर उद्योग को विशेष प्रोत्साहन की आवश्यकता है ताकि यह उद्योग फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सके और भविष्य में नए खनन क्षेत्रों की खोज की जा सके।

एक समय था जब जैसलमेर के पीले पत्थर (यलो मार्बल) की मांग अत्यधिक थी, लेकिन अब यह पत्थर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, और इसके स्थान पर नए खनन क्षेत्र की खोज का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इसके अलावा, लाइम स्टोन फ्लोरिंग की मांग में भी कमी आई है, जो पहले इस क्षेत्र के लिए एक प्रमुख आय का स्रोत था। ऐसे में व्यापारियों और उद्योग को बजट से बड़ी उम्मीदें हैं।

व्यापारियों का कहना है कि पिछले बजट में शहरी आवास योजना के तहत कच्ची बस्तियों को 1.20 लाख रुपए का लोन दिया गया था, जिससे पत्थरों की मांग बढ़ी थी। अगर ऐसी कोई योजना फिर से लागू होती है, तो पत्थर व्यापारियों को एक नई उम्मीद मिल सकती है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। पत्थर व्यवसायी गिरीश व्यास का मानना है कि जैसलमेर के पत्थर खनन क्षेत्र के लिए बजट में विशेष प्रावधान की आवश्यकता है। अगर राज्य सरकार जैसलमेर के खनन क्षेत्र को विशेष पैकेज या प्रोत्साहन देती है, तो इस उद्योग को पुनः गति मिल सकती है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

पत्थर व्यवसायी विजय पुरोहित के अनुसार, जैसलमेर का खनन क्षेत्र एक समय में देशभर में काफी लोक​प्रिय था, लेकिन अब संसाधनों की कमी और प्रतिस्पर्धा की वजह से उद्योग की वृद्धि रुक गई है। ऐसे में, यदि सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए बजट में कोई विशेष पैकेज घोषित करती है, तो यह पत्थर उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए सहायक हो सकता है। कुल मिलाकर, जैसलमेर के पत्थर व्यवसायियों को उम्मीद है कि आगामी बजट में इस उद्योग को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे न केवल व्यापारियों की स्थिति सुधरेगी, बल्कि जिले के समग्र विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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