
भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार सीएम केयर नामक नई स्वास्थ्य बीमा योजना( Health Insurance Scheme) शुरू करने जा रही है, जिससे 10 लाख से अधिक कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। कर्मचारियों के लिए 20 लाख तक और पेंशनर्स के लिए 5 लाख तक इलाज कैशलेस होगा। मध्य प्रदेश सरकार सीएम केयर योजना प्रारंभ करेगी। इसमें पूरा जोर सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर रहेगा। कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए बड़े अस्पताल बनाए जाएंगे। इसमें अगले पांच वर्ष में दो हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह अभी प्रारंभिक आकलन है। परियोजना आगे बढ़ने के बाद लागत और बढ़ जाएगी। वित्त विभाग ने भी इस पर सहमति दे दी है। अब शीघ्र ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।
योजना के अंतर्गत जबलपुर मेडिकल कॉलेज में बने स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट को 200 बिस्तर से बढ़ाकर 600 बिस्तर का किया जाएगा। प्रदेश स्तर का एक स्टेट कार्डियोलॉजी सेंटर बनेगा, हालांकि इसके लिए अभी स्थान का चयन नहीं किया गया है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर मेडिकल कॉलेजों में आंकोलॉजी (कैंसर), आंको सर्जरी, कॉर्डियोलॉजी और कॉर्डियक सर्जरी विभाग प्रारंभ किए जाएंगे।
मध्य प्रदेश में बढ़ रहे अंगदान
सभी जगह 100-100 बिस्तर होंगे। बाद में नेफ्रोलॉजी यानी किडनी रोग और यूरोलॉजी विभाग भी प्रारंभ होंगे। अंग प्रत्यारोपण के लिए भी प्रदेश स्तरीय संस्थान बनाया जाएगा, जिसमें लिवर, किडनी, हार्ट, फेफड़ा और कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा रहेगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में लाइव और ब्रेन डेड दोनों तरह के अंगदान बढ़ रहे हैं।
सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अंग निकालने की सुविधा चरणबद्ध तरीके से प्रारंभ की जा रही है। एक अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण प्रारंभ होने से विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय हो सकेगा। प्रदेश में पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने के कारण कई बार हार्ट, फेफड़ा आदि को दूसरे राज्यों में भेजना पड़ता है।
वर्तमान रिम्बर्समेंट प्रक्रिया
वर्तमान में, कर्मचारियों को इलाज कराने के बाद खर्च की गई राशि के लिए अपने संबंधित विभागों में आवेदन करना पड़ता है। इसके लिए डॉक्टर या मेडिकल बोर्ड की मंजूरी आवश्यक होती है।
अस्पताल में भर्ती होने पर 5 लाख तक के क्लेम की मंजूरी संभागीय अस्पताल के डीन की अध्यक्षता वाली कमेटी देती है।
5 लाख से 20 लाख तक के क्लेम के लिए उच्च स्तर की कमेटी निर्णय लेती है।
बाह्य रोगी इलाज में एक साल में अधिकतम 20 हजार रुपये तक का रिम्बर्समेंट मिलता है।
रिम्बर्समेंट प्रक्रिया की मुख्य समस्याएं
लंबा इंतजार: रिम्बर्समेंट मिलने में महीनों लग जाते हैं, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बजट की कमी: अधिकांश बजट शहरों के कर्मचारियों पर खर्च हो जाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों या फील्ड कर्मचारियों तक बजट नहीं पहुंच पाता।
आर्थिक दबाव: इलाज के लिए कर्मचारियों को पहले खुद भुगतान करना पड़ता है, जो कई बार मुश्किल हो जाता है।
जल्द ही मिलेगी मजूरी
वित्त एवं स्वास्थ्य विभाग ने योजना को लगभग अंतिम रूप दे दिया है । मुख्यमंत्री के साथ अंतिम बातचीत के बाद इसे जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी । इस योजना के लागू होने से कर्मचारियों की पुरानी मांग पूरी होगी और इलाज की प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं सुविधा बढ़ेगी ।
कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
सीएम केयर योजना के तहत मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं को सुदृढ़ किया जाएगा। इसमें कई तरह की सेवाओं को शामिल किया जाएगा। अभी इसका प्रस्ताव कैबिनेट में जाना है। इससे सुपर स्पेशियलिटी की सीटें भी बढ़ेंगी। – संदीप यादव, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा।