
‘एकात्मता की प्रतिमा’ स्थापना की दूसरी वर्षगांठ पर ओंकारेश्वर में भव्य आयोजन
भोपाल
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने ‘एकात्म धाम’ को अद्वैत दर्शन और सांस्कृतिक एकता का वैश्विक केंद्र बनाने का संकल्प लिया है। प्रथम चरण में 108 फीट ऊँची बहुधातु की ‘एकात्मता की प्रतिमा’ की स्थापना पूरी हो चुकी है। द्वितीय चरण में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में 2,195 करोड़ रुपए की लागत से ‘अद्वैत लोक संग्रहालय’ का निर्माण किया जा रहा है, जो आचार्य शंकर के जीवन, विचार और दार्शनिक परम्परा को समर्पित होगा।
आदि गुरू शंकराचार्य की ‘एकात्मता प्रतिमा’ स्थापना की दूसरी वर्षगांठ के पावन अवसर पर ओंकारेश्वर के मार्कण्डेय संन्यास आश्रम में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा आचार्य शंकर द्वारा रचित स्तोत्रों और भाष्यों का विधिवत पारायण किया गया। इसके बाद गुरु पूजन, रुद्राभिषेक और संवाद सत्र भी हुआ, जिसमें संत-महात्मा, विद्वान और श्रद्धालुगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
आयोजन में महामंडलेश्वर स्वामी नर्मदानंद बापजी, स्वामी भूमानंद सरस्वती, अनेक शंकर दूत, वेद अध्ययनकर्ता तथा एकात्म धाम के अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान शंकर दूतों और विद्वानों ने तोटकाष्टकम्, नर्मदा अष्टक, गंगा स्तोत्र सहित अनेक आचार्य विरचित भक्ति स्तोत्रों का संगीतमय गायन किया, जिससे ओंकार पर्वत आचार्य शंकर के स्तोत्रों की गूंज से प्रतिध्वनित हुआ और वातावरण बेहद भक्तिमय बन गया। महामंडलेश्वर स्वामी नर्मदानंद बापजी ने कहा कि भगवान शंकराचार्य का अवतार जगत के कल्याण के लिए हुआ तथा ओंकारेश्वर की यह पुण्यभूमि आचार्य गुरु की खोज और व्यवहारिक शिक्षाओं से पुण्यवान हुई है। उन्होंने बताया कि ‘एकात्म धाम’ के माध्यम से यहाँ से विश्व में एकात्मता और अद्वैत का संदेश फैलाया जाएगा। स्वामी भूमानंद सरस्वती ने अद्वैत को जीवन-दृष्टि बताते हुए कहा कि अद्वैत वेदांत भेदभाव का अंत कर समस्याओं का सार्थक समाधान प्रस्तुत करता है। ब्रह्मचारी रमण चैतन्य ने आचार्य शंकराचार्य को न केवल महान ज्ञानी परन्तु परम भक्त भी बताया और कहा कि उनका रचित जगन्नाथ अष्टकम्, नर्मदा स्तोत्र व गंगा स्तोत्र इत्यादि भक्ति-परम्परा को जीवंत रखती हैं।
अद्वैत लोक संग्रहालय : परियोजना का लक्ष्य और प्रभाव
न्यास एवं संस्कृति विभाग के नेतृत्व में ‘अद्वैत लोक संग्रहालय’ को द्वितीय चरण में विकसित करने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में यह परियोजना ₹2,195 करोड़ की अनुमानित लागत से चल रही है। इसका उद्देश्य आचार्य शंकर के जीवन, उनके भाष्यों, पांडुलिपियों, दर्शन एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित व प्रदर्शित करना है। परियोजना में संग्रहालय, शोध-केंद्र, शैक्षिक सुविधाएँ तथा तीर्थ और सांस्कृतिक पर्यटन संबंधी बुनियादी ढांचे का विकास शामिल करने की रूपरेखा रखी गयी है — जिससे न केवल आध्यात्मिक-अध्ययन को बल मिलेगा बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। एकात्म धाम का रूपांतरण केवल एक धार्मिक स्मारक नहीं, बल्कि अद्वैत दर्शन के अध्ययन, सांस्कृतिक संवाद और विश्व शांति संदेश का केन्द्र बनकर उभरेगा। प्रतिमा स्थापना और संग्रहालय परियोजना के समेकित प्रयास से ओंकारेश्वर न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक-आकर्षण और अध्यात्मिक शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र बन रह है।