
रोहतक
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले को दलित उत्पीड़न के ऐंगल से भी देखा जा रहा है। उनकी पत्नी पी. अमनीत कुमार की मांग पर इस केस में एससी-एसटी ऐक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया का ट्रांसफर किया गया है। इसके चलते इस मामले में अब जाट फैक्टर भी सामने आया है और खाप पंचायतों ने विरोध जताया है। रोहतक के मानसरोवर पार्क में एक मीटिंग हुई। इसमें कई खाप पंचायतों, ग्राम पंचायतों और छात्र संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचे। इसके अलावा कुछ व्यापार संगठनों के लोगों ने भी हिस्सा लिया।
इसके बाद इन लोगों की ओर से जिला प्रशासन के अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा गया। खाप पंचायतों की ओर से मांग की गई कि एसपी नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ लगे आरोपों की सही से जांच की जाए और अचानक ही कोई ऐक्शन न लिया जाए। इनकी मांग है कि एसपी नरेंद्र बिजारनिया को उनका पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया। अहलावत खाप से जुड़े जय सिंह अहलावत ने कहा, 'एक सीनियर आईपीएस अधिकारी का आत्महत्या कर लेना दुखद है। पूरे समाज और हर नागरिक को इससे झटका लगा होगा। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ ऐक्शन लिया जाए। लेकिन यह भी तय हो कि कोई निर्दोष व्यक्ति बलि का बकरा ना बन जाए।'
वहीं एक अन्य नेता ने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ बिना किसी जांच के ही ऐक्शन लिया गया है। उन्हें अपना पक्ष तक रखने का मौका नहीं दिया गया। खाप पंचायतों ने कहा कि बिना किसी जांच के ही अधिकारी पर ऐक्शन लेना अपमानजनक है। हमारी मांग है कि पहले विस्तार से जांच हो और उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाए। इन लोगों ने कहा कि बिजारनिया ने रोहतक की कानून और व्यवस्था को सुधारा था। यदि उनके खिलाफ बिना किसी जांच के ही ऐक्शन हो रहा है तो यह दुखद है।
इस तरह हरियाणा में आईपीएस अधिकारी का मामला लगातार जातीय रंग ले रहा है। पहले इस मामले को लेकर दलित संगठन ऐक्टिव हुए तो वहीं अब जाट समुदाय से जुड़े संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। ऐसी स्थिति में हरियाणा सरकार भी दबाव रहेगा और चुनौती होगी कि कैसे वह इस संघर्ष से बाहर निकले। खाप पंचायतों ने कहा कि यदि कोई गलत नहीं है तो फिर उसे आरोपों से अलग करना चाहिए और क्लीन चिट भी देनी चाहिए।