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तमिलनाडु में बंगाली बोलने पर पश्चिम बंगाल के 4 युवकों की पिटाई, मुर्शिदाबाद में दर्ज हुआ केस

तिरुवल्लुर
महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद की आग अब तमिलनाडु में भी पहुंच गई है। राज्य के तिरुवल्लुर जिले में पश्चिम बंगाल के चार युवकों को पीटने का मामला सामने आया है। चार युवकों बंगाली में बात करने के लिए पीटा गया है। बंगाली में बात कर रहे स्थानीय लोगों ने इन युवकों को बांग्लादेशी समझा और बेरहमी से पीट दिया। इस संबंध में पीड़ितों के परिवार ने मुर्शिदाबाद जिले में 17 जुलाई को पुलिस शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत के अनुसार, सुजान शेख, उनके भाई मिलन शेख, साहिल शेख और बाबू शेख तीन हफ्ते पहले चेन्नै गए थे। वहां पर वे निर्माण कार्य में लगे हुए थे। जहां उनकी पिटाई की गई। घटना 15 जुलाई की शाम की है, जब वे तिरुवल्लुर में थे।

बंगाली में बात करते सुना तो पीट डाला
सुजान के पिता द्वारा दर्ज शिकायत में कहा गया कि जब कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे नाम और पता पूछा और बांग्ला में बात करते सुना, तो उन्होंने उन्हें बांग्लादेशी समझकर लोहे की छड़ों और लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। इस हमले में चारों घायल हो गए और सरकारी मेडिकल कॉलेज तिरुवल्लुर में प्राथमिक उपचार के बाद वे तुरंत मुर्शिदाबाद लौट आए। पीड़ित सुजान और मिलन के पिता आशाबुल शेख ने बताया कि मेरे छोटे बेटे का हाथ टूट गया। उसकी सर्जरी हुई है और वह अब भी नर्सिंग होम में भर्ती है। बड़े बेटे को भी गंभीर चोटें आई हैं और दोनों को कई हफ्तों तक बिस्तर पर रहना होगा।

मजदूरी भी नहीं मिली
इस हमले में घायल मिलन शेख ने बताया कि हम बहुत डरे हुए थे। हम पहली बार चेन्नै काम करने गए थे। 11 दिन की मजदूरी भी नहीं मिली। घर लौटने के लिए मैंने अपने पिता से 12 हजार रुपये मंगवाए। पीड़ितों के परिवार ने प्रशासन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई और मुआवजे की मांग की है।

षा युद्ध की बात कर माहौल बनाने लगीं ममता

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अब करीब 10 महीने का ही समय बचा है। अगले साल अप्रैल-मई में राज्य में इलेक्शन होने वाले हैं। इससे ठीक पहले उन्होंने बांग्ला भाषा का मसला उठाना तेज कर दिया है। देश के कई हिस्सों में अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा उठाए जाने को उन्होंने बंगालियों के उत्पीड़न से जोड़ दिया है। गुरुवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अब हमें फिर से एक भाषा आंदोलन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों को बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लिया जा रहा है। उन्हें काम करने से रोका जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि यह स्थिति तो भाषाई आतंकवाद जैसी है।

इस तरह भाषा को मुद्दा बनाना और एक नए आंदोलन की बात से ममता बनर्जी ने संदेश दे दिया है कि वह चुनाव तक इस मसले को खींचने की तैयारी में हैं। पहले भी ममता बनर्जी चुनावों में बांग्ला कार्ड चलती रही हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का रुख एक बार फिर से उसी तरफ बढ़ता दिख रहा है। ममता दीदी ने कहा, 'बंगाली भाषा के खिलाफ जिस तरह का भाषायी आतंकवाद शुरू किया है, वह खतरनाक है। बंगाली भाषा दुनिया में 5वीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश में 30 करोड़ लोग बांग्लाभाषी हैं। फिर भी इन लोगों को जेल में डाला जा रहा है। हमें इसे स्वीकार नहीं कर सकते।'

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरी ही बात नहीं है बल्कि तमाम बांग्ला भाषी लोगों की है। इस तरह हम लोगों की भाषा पर हमला नहीं हो सकता। बंगाल हम लोगों के लिए सब कुछ है और हम अपनी जमीन बचाने के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने कहा कि बांग्ला भाषा के नाम पर किसी को हिरासत में रखे जाने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। दरअसल हाल ही में एनसीआर के गुरुग्राम में बांग्ला भाषी कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था। बता दें कि बांग्ला भाषी लोगों की आबादी बंगाल के अलावा बड़ी संख्या में असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी है।

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