झारखंड/बिहारराज्य

देश में गुलेन बैरी सिंड्रोम बीमारी ने चिंता बढ़ा दी, अब झारखंड में भी इस बीमारी के केस निकलकर सामने आ रहे हैं, मचा हड़कंप

झारखंड
देश में गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। अब झारखंड में भी इस बीमारी के केस निकलकर सामने आ रहे हैं। दरअसल, रांची में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के एक और संदिग्ध मरीज को भर्ती कराया गया। वहीं इससे पहले प्रदेश में 2 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके है।

रांची के अस्पताल में भर्ती है GBS की मरीज
बता दें कि संदिग्ध मरीज एक 2 साल का बच्चा है। बच्चा रांची के रानी अस्पताल में भर्ती है। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और संचालक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि बच्चे को हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया है और दवा शुरू होने के बाद उसकी स्थिति में हल्का सुधार हुआ है। वहीं, इससे पहले सात साल की बच्ची और साढ़े पांच साल की बच्ची गुलियन बैरे सिंड्रोम की चपेट में आ चुकी है। दोनों की स्थिति में पहले से सुधार देखा गया है, लेकिन दोनों बच्चों में हाथ-पैर की कमजोरी अभी भी बनी हुई है। वहीं, राज्य में अब लगातार तीसरा मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।

गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) क्या है?
गुलेन बैरी सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के खुद के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर हमला करता है। इसके कारण व्यक्ति को चलने-फिरने में परेशानी होती है और सांस लेने में भी समस्या आ सकती है। इस बीमारी का असर मुख्य रूप से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम (जो शरीर के बाकी हिस्सों में नर्व्स होती हैं) पर पड़ता है, जबकि सेंट्रल नर्वस सिस्टम (ब्रेन और रीढ़ की हड्डी) प्रभावित नहीं होता। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से प्रभावित अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ में हल्की कमजोरी कुछ दिनों तक बनी रह सकती है।

बचाव के उपाय
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि GBS जैसी बीमारियों से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि लोग स्वच्छता का ध्यान रखें और साफ पानी का ही सेवन करें। खाने से पहले और बाद में अच्छे से हाथ साफ करें। अगर किसी को कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ या हाथ-पैरों में सुन्नपन महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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