
चंडीगढ़
आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में न्याय संघर्ष मोर्चा ने 31 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस संघर्ष समिति ने रविवार दोपहर तीन बजे चंडीगढ़ के सेक्टर-20 स्थित गुरु रविदास भवन में एक महापंचायत आयोजित की। महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर को उनके पद से हटा दिया जाए और उनकी गिरफ्तारी की जाए। इसके अलावा, मामले की जांच हाईकोर्ट के किसी जज से कराने की मांग की गई है। हरियाणा सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है कि यदि डीजीपी को पद से न हटाया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसमें शहर की सफाई व्यवस्था को ठप करने के साथ-साथ अन्य प्रकार के विरोध प्रदर्शन भी शुरू किए जाएंगे।
महापंचायत समाप्त होने के बाद लोगों से शांति बनाए रखते हुए घर लौटने की अपील की गई, लेकिन कुछ लोग राजभवन की ओर बढ़ने की तैयारी में थे। कुछ ने सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि, महापंचायत के आयोजकों ने स्पष्ट किया कि वे अभी कोई प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं और जो भी नारेबाजी हो रही है, वह व्यक्तिगत स्तर पर है। पुलिस प्रशासन ने उन लोगों को आगे बढ़ने से रोक लिया।
छठे दिन भी पोस्टमॉर्टम पर सहमति नहीं बनी
छठे दिन भी पूरन कुमार के शव का पोस्टमॉर्टम कराने पर सहमति नहीं बन पाई। उनकी आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार के सेक्टर-11 स्थित आवास पर दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के साथ बैठक हुई। सात अक्टूबर को इसी सेक्टर-11 की कोठी में पूरन कुमार ने आत्महत्या की थी। कैबिनेट मंत्री कृष्णा बेदी ने कहा कि वे पूरन कुमार के परिवार से लगातार संपर्क में हैं। परिवार की मांग पर ही रोहतक के एसपी को हटाया गया। उन्होंने बताया कि आज शाम तक मामला सुलझ सकता है।
इससे पहले, चंडीगढ़ पुलिस ने देर रात आईपीएस वाई पूरन कुमार के परिवार की एक मांग मानते हुए एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(वी) जोड़ दी है। परिवार लगातार इस धारा को शामिल करने की मांग कर रहा था। उनका कहना था कि एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट तो दर्ज किया गया है, लेकिन उसके सख्त प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया।