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हरियाणा मंत्री अनिल विज ने केजरीवाल को लेकर पंजाब में भी आप सरकार का सूपड़ा साफ होने का व्यंग कसा

अंबाला
हरियाणा के केबिनेट मंत्री अनिल विज ने आज दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को लेकर पंजाब में भी आप सरकार का सूपड़ा साफ होने का व्यंग कसा वहीँ विज ने  विधानसभा में कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और  उनके बीच हुई तीखी नोक झोंक को लेकर भी हुड़ा को आड़े हाथों लिया। विज ने पश्चिम बंगाल में सड़क पर भारी संख्या में आधार कार्ड मिलने पर ममता सरकार को भी खूब खरी खोटी सुनाई। विजय पत्रकार वार्ता के बाद हमेशा की तरह पत्रकारों को इस बार भी एक गीत सुना दिया।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इनदिनों पंजाब में होने वाले उपचुनाव को लेकर पंजाब में  लगातार अपनी आप सरकार का बखान कर रहे हैँ। उस पर व्यंग कस्ते हुए विज ने कहा की जहाँ जहाँ पैर पड़े संतन के वहीँ वहीँ बंटा धार। उसने कहा कि केजरीवाल का दिल्ली में बंटाधार हो चुका है।

पश्चिम बंगाल में सड़कों पर भारी मात्रा में आधार कार्ड मिलने के बाद से राजनीतिक गर्मी हुई है इसको लेकर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को घूरते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल है और वहां हर तरह के गैरकानूनी काम होते हैं। बिजनेस आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की सरकार किसी भी व्यवस्था को नहीं मानती।
 
विज ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आने वाले लोगों की भी बहुत बड़ी संख्या है, पश्चिम बंगाल में हर तरह की इरेगुलेरिटी हो रही है। वीर ने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता इस समय त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है और जब भी पश्चिम बंगाल में चुनाव आएंगे पश्चिम बंगाल की जनता इस सरकार को उखाड़ कर फेंक देगी और वहां पर भी प्रजातांत्रिक भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बनाएगी । विधानसभा में मंत्री अनिल विज और कांग्रेस नेता  भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच तीखी नोंकझों को लेकर विज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हुड्डा बिना आधार के मुद्दे उठाते हैं, पढ़कर नहीं आते लेकिन उन्हें जवाब तो देना पड़ेगा।

किसने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा डेमोक्रेसी की प्रथा में विश्वास नहीं रखते यही कारण है कि जब हम विपक्ष में थे वह तब भी किसी को बोलने नहीं देते थे और उठा उठा कर सदस्यों को बाहर फेंकते थे। विज ने कहा हुड्डा में तानाशाही प्रवृत्ति है और जिस भी व्यक्ति में तानाशाही प्रवृत्ति हो उसका प्रजातंत्र के मंदिर, विधानसभा में क्या काम है इस मंदिर में सबको बोलने का और अपनी बात रखने का अधिकार होता है यह कह देना कि मैं बोलने नहीं दूंगा यह पार्लियामेंट्री भाषा नहीं है।

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