
नई दिल्ली
लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस सांसद और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम के बयान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर कांग्रेस को क्या हासिल होगा। शाह ने कहा कि चिदंबरम का बयान पूरी दुनिया के सामने अपने पाक प्रेम का बखान कर रहे हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता का यह सवाल कि आतंकी पाकिस्तान से आए या नहीं, देश के पूर्व गृह मंत्री की तरफ से एक तरह से पाकिस्तान को क्लीन चिट देने जैसा है। इसके साथ ही शाह ने कहा कि हमारे पास सबूत हैं और हम संसद के पटल पर उसे रखने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मारे गए तीन आतंकियों में से दो के वोटर नंबर तक हमारे पास हैं। उनकी जेब में पाकिस्तान निर्मित चॉकलेट भी मिले हैं। साथ ही शाह ने बताया कि हमला कब और कैसे हुआ।
आतंकी पाकिस्तान के ही थे, मददगार गिरफ्तार
अमित शाह ने कहा कि जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी पाकिस्तान से थे। उन्होंने बताया कि मंगलवार सुबह 4 बजे इसकी पुष्टि हो गई। साथ ही जिन दो लोगों ने इन आतंकियों को शरण दी थी, उन्हें भी पकड़ लिया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने आतंकियों और उनके मददगारों को पकड़ने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया।
अप्रैल के हमले के बाद शुरू हुई कार्रवाई
शाह ने जानकारी दी कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। उसी दिन वह श्रीनगर रवाना हो गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले दिन सीसीएस की बैठक बुलाई। उन्होंने बताया कि बैठक में सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला लिया गया, जो कांग्रेस की ऐतिहासिक भूल थी। शाह ने कहा कि सरकार ने तय किया कि आतंकियों को उनके छिपने के ठिकानों में जाकर मार गिराया जाएगा।
'मोदी बिहार गए, राहुल पहलगाम गए' पर जवाब
गौरव गोगोई के 'मोदी बिहार चले गए और राहुल गांधी पहलगाम गए' वाले बयान पर शाह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री बिहार में थे, तब तक पहलगाम में कोई स्थिति नहीं थी। राहुल गांधी वहां पहले से मौजूद थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पीएम की प्राथमिकता गलत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक सभा में देश पर हुए हमले को लेकर जिम्मेदारी से बात की।
'कांग्रेस सवाल न पूछे, साथ दे देश का'
अमित शाह ने अपने भाषण के अंत में विपक्ष से अपील की कि ऐसे वक्त में जब देश के निर्दोष लोग आतंकी हमले में मारे गए, तब राजनीति करने के बजाय राष्ट्रहित में एकजुटता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है। कांग्रेस नेताओं को इस पर सवाल उठाने के बजाय सेना और सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए।