मुंबई
इजरायल ने बंगलादेश में रहने वाले हिन्दू समुदाय के लोगों के साथ गहरी एकजुटता व्यक्त की है तथा उनके साथ होने वाले उत्पीड़न और हिंसा की कड़ी निंदा की है। मुंबई स्थित इजरायल के महावाणिज्यदूत कोब्बी शोशनी ने शनिवार को सुबह विश्व हिंदू आर्थिक मंच (डब्ल्यूएचईएफ) 2024 के पूर्ण सत्र के दौरान अपने संबोधन में बंगलादेश में हिंदू समुदाय के साथ गहरी एकजुटता व्यक्त की और उनके साथ होने वाली हिंसा और उत्पीड़न की निंदा की।
इज़रायली राजनयिक की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब बंगलादेशी हिंदुओं की दुर्दशा ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान और चिंता आकर्षित की है।
श्री शोशनी ने कहा, "वहां जो हो रहा है वह अस्वीकार्य है।" उन्होंने इस अल्पसंख्यक समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यहूदियों के ऐतिहासिक अनुभवों का हवाला देते हुए पीड़ा की साझा समझ को व्यक्त किया, जो बिना किसी डर या उत्पीड़न के भारत में रहते आए हैं। उन्होंने कहा, "हम समझते हैं कि बेटियों और बच्चों की हत्या और अपराधियों द्वारा उनका कत्ल किया जाना कैसा होता है।" उन्होंने हाल ही में दोनों समुदायों को प्रभावित करने वाली त्रासदियों का संदर्भ दिया।
श्री शोशनी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को इजरायल और बंगलादेशी हिंदुओं के प्रति उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने आतंकवाद से निपटने में एकजुटता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "07 अक्टूबर, 2023 को हमारे साथ जो हुआ, उसे हम कभी नहीं भूलेंगे।"
इज़रायली महावाणिज्यदूत ने कहा कि सुरक्षा और उग्रवाद से जुड़ी चुनौतियों में इज़रायल और भारत दोनों की ही समानताएं हैं। उन्होंने दूरसंचार और चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति का हवाला देते हुए यह भी बताया कि संकटों से नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है।
श्री शोशनी ने दोनों देशों के लिए मजबूत सैन्य और आर्थिक नींव के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "कमजोर सेना के साथ मजबूत अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती।" उन्होंने जोर देकर कहा कि आर्थिक स्थिरता के लिए सैन्य ताकत जरूरी है। उन्होंने भारत को एशिया में इजरायल का सबसे बड़ा दोस्त बताया और दोनों देशों के बीच निरंतर सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने भारत की जीवंत संस्कृति और वैश्विक समाज में इसके महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "हम भारत को इसलिए प्यार करते हैं क्योंकि हमारे पारिवारिक मूल्य, परंपराएं, रीति-रिवाज, सामाजिक संरचना और आतंकवाद के खिलाफ हमारी साझा लड़ाई है।"
श्री शोशानी को 26/11 के आतंकी हमलों के तुरंत बाद इज़रायल के विदेश मंत्रालय ने मुंबई भेजा था। उन्होंने अपने संबोधन का यह कहते हुए समापन किया कि जब भी वह इज़रायल लौटेंगे, "मेरे दिल का कुछ हिस्सा हमेशा पीछे रह जाएगा।"
श्री शोशनी के संबोधन से पहले, भारतीय-यहूदी समुदाय के सदस्य एडवोकेट आरोन सोलोमन ने डब्ल्यूएचईएफ 2024 के दूसरे दिन भारत-इज़रायल सहयोग के अवसरों पर सत्र की शुरुआत की और भारत और इज़राइल के बीच अनूठे संबंधों पर विचार किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश आपसी सम्मान और ज़रूरत के कारण एक-दूसरे के और करीब आए हैं। सोलोमन ने कहा, "भारत ने हमें शरण दी है। यह एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ हम यहूदियों को कभी भी यहूदी-विरोधी भावना का सामना नहीं करना पड़ा।"
उन्होंने भारत में यहूदियों की ऐतिहासिक उपस्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज लगभग 2000 साल पहले कोंकण तट पर आए थे। श्री सोलोमन ने उल्लेख किया कि जब वह किशोर थे, तब 50,000 से अधिक भारतीय यहूदी थे, लेकिन आज केवल 4,000 ही बचे हैं, जिन्होंने मूल भारतीय संस्कृति के साथ अनुकूलन और आत्मसात किया है। कई भारतीय यहूदी इज़रायल में बस गए हैं, लेकिन भारत की विकास यात्रा में योगदान देना जारी रखे हैं और मधुर यादें संजोये हुए हैं।