
तिरुवनंतपुरम
केरल के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजन खोबरागड़े ने कहा कि निपाह के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने रोकथाम के लिए कई रणनीतियां तैयार की हैं और उन्हें लागू किया है।
डॉ. खोबरागड़े ने कल यहां आयोजित 'निपाह और अन्य जूनोटिक स्पिलओवर-रोकथाम के लिए स्वास्थ्य रणनीतियों का एकीकरण' विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ये टिप्पणियां कीं और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। जंगली जानवरों से मनुष्यों में रोगजनकों के संचरण को ‘जूनोटिक स्पिलओवर’ कहा जाता है।
उन्होंने 2019 से राज्य को प्रभावित करने वाली महामारियों का पता लगाने एवं उनकी रोकथाम करने के राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए वर्तमान परिदृश्य में ‘वन हेल्थ’ अवधारणा के महत्व पर प्रकाश डाला और राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए उन्नत वायरोलॉजी संस्थान जैसे संस्थानों से सहयोग मांगा।
यह सम्मेलन संक्रामक रोग विभाग, सरकारी मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और केरल वन हेल्थ सेंटर फॉर निपाह रिसर्च एंड रेजिलिएंस के सहयोग से आयोजित किया गया था।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की संयुक्त निदेशक डॉ. सिम्मी तिवारी ने उन्नत विषाणु विज्ञान संस्थान (आईएवी) की स्थापना के लिए केरल सरकार को बधाई दी और कहा कि संस्थान ने पहले ही विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है और संस्थान राज्य तथा देश दोनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी की तैयारी में सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने राज्य को अक्सर प्रभावित करने वाले जूनोटिक स्पिलओवर संक्रमणों का समय पर पता लगाने के लिए नैदानिक सुविधाओं का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसमें विभिन्न विषयों पर सत्र प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा दिए गए।