
गुरुग्राम
केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि गुरुग्राम में पिछले एक दशक में कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। लेकिन भारी बारिश के दौरान शहर की जल निकासी व्यवस्था की खामियां सामने आती हैं।
एक रियल एस्टेट कॉन्क्लेव में बोलते हुए मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई, तब गुरुग्राम में इफको चौक, हीरो होंडा चौक और राजीव चौक जैसे इलाकों में भयंकर ट्रैफिक जाम की स्थिति थी। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने बाईपास और अंडरपास जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारों के जरिए सामान्य दिनों में ट्रैफिक की समस्या को काफी हद तक हल किया है।
जलभराव को बताया चिंताजनक हालांकि, भारी बारिश के दौरान गुरुग्राम के जलमग्न होने की समस्या पर सवाल उठने पर मनोहरलाल ने स्वीकार किया कि जलभराव एक "चिंता का विषय" है। इस महीने लगातार बारिश के कारण शहर के कई हिस्सों, खासकर पॉश इलाके मिलेनियम सिटी में जलभराव की स्थिति बनी। जिसके चलते 10 जुलाई को अधिकारियों को कंपनियों को वर्क-फ्रॉम-होम की सलाह देनी पड़ी।
एक दो घंटे में पानी निकल जाता है केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले बारिश का पानी खेतों और झीलों में बह जाता था। लेकिन अब सड़कों और इमारतों के कारण पानी के निकलने की जगह नहीं बची। नालियों और सीवेज सिस्टम की कमी रही। अंडरपास में जलभराव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारी बारिश में अंडरपास में पानी भर जाता है, लेकिन 1-2 घंटे में निकल जाता है, जिससे पता चलता है कि व्यवस्था ठीक है।
व्यवस्था बनाने में समय लगता है उन्होंने कहा कि यह समस्या न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी होती है। जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने में 10 साल के समय पर सवाल उठने पर खट्टर ने जवाब दिया कि काम चल रहा है। एक बार शहर बस गया तो आप रातोंरात एक व्यवस्था को उखाड़कर नई व्यवस्था नहीं बना सकते। जब कोई काम दो-तीन साल तक चलता है, तो हम उस दौरान कुछ नहीं कर सकते। इन सभी व्यवस्थाओं को फिर से विकसित करने में समय लगता है।
जलभराव पर लुटियंस का दिया उदाहरण उन्होंने लुटियंस दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि देश के सत्ता केंद्र लुटियंस दिल्ली में भी बारिश का पानी बारापुला नाले में बहता है, जो ऊपर है, लेकिन लुटियंस नाला नीचे है। अब पानी बारापुला में कैसे बहेगा? बारापुला नाला नीचे करो, लेकिन यमुना कीचड़ से भरी है और उसका पानी उल्टा बहता है।
लुटियंस के कुछ इलाकों में भारी बारिश के दौरान कम से कम दो फीट तक जलभराव हो जाता है। गुरुग्राम में शुरुआती शहरी नियोजन में कमी और बदलते बारिश के पैटर्न ने समस्या को जटिल किया है। लेकिन सरकार इसे हल करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।