दशहरे पर रावण दहन के बाद लोग रावण दहन तक का इंतजार करते हैं। इसके पीछे कई लोगों का मकसद होता है जले हुए रावण की लकड़ियों को घर पर लेकर आना। असल में समुद्र तटों से लोगों के बीच यह अंधविश्वास चल रहा है कि रावण दहन के बाद उसकी उपज और जली हुई लकड़ियों को घर में लाकर वास्तुशिल्प दूर दिखाई देते हैं और जीवन में स्थिरता बनी रहती है। यदि आप भी इस धारणा पर प्रकाश डाल रहे हैं, तो इस लेख को अवश्य पढ़ें। आइए जानते हैं कि रावण दहन के बाद दशहरे पर लकड़ियों को घर में लाना चाहिए या नहीं।
रावण दहन के बाद उसके अवशेष या अवशेष लकड़ी के टुकड़े घर में न होने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है लेकिन यह बात कहीं से भी सही नहीं है। क्योंकि रावण दहन का मतलब रावण की चिता और रावण को जलाना है। इसका अर्थ यह हुआ कि रावण की चिता में सभी नकारात्मकताओं को नष्ट कर देना। ऐसे में जरा सोचिए! अगर आप किसी के घर पर कोई सामान बेचते हैं, तो उसे कितना अच्छा माना जा सकता है।
रावण दहन की लकड़ी या राख को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए क्योंकि इसे रावण की हड्डियाँ और चिता की राख माना जाता है। इसे घर में रखने से रावण जैसी नकारात्मकता भी आपके जीवन में घर होने लगती है। हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया जाता है। चिता की राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है। जिससे मनुष्य का शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाए। इसी तरह रावण दहन की राख को घर में नहीं रखना चाहिए, बल्कि राख स्वंय ही हवा में विलिन हो जाती है।
रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी या राख घर में क्यों नहीं लानी चाहिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी या राख घर में लानी चाहिए तो इससे आपके घर में नकारात्मकता का वास होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में दहन की लकड़ी या राख रखने से घर की सुख-शांति में बाधा उत्पन्न होती है। साथ ही घर में छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा भी होता रहता है इसलिए कभी भी रावण दहन की राख या लकड़ियां घर में लेकर न जाएं।
रावण दहन के बाद क्या करें आप अगर आपके घर में शांति और खुशहाली का वास चाहते हैं, तो आपको रावण दहन के बाद हाथ जोड़कर प्रभु श्रीराम को प्रणाम करते हुए कहना चाहिए कि जिस तरह उन्होंने रावण नाम नकारात्मक शक्ति का अंत किया था, उसी तरह हम सभी हमें सर्वश्रेष्ठ इंसान बनने की दिशा में प्रेरित करें। इसके साथ ही आप रावण दहन के बाद राम मंदिर और हनुमान मंदिर में विजयादशमी का दीपक जलाएं।