छत्तीसगढ़राज्य

मां बम्लेश्वरी धाम: श्रद्धालुओं की भीड़ संभालने को प्रशासन तैयार

 डोंगरगढ़

छत्तीसगढ़ का डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी धाम एक बार फिर नवरात्र पर्व के लिए तैयार हो गया है. चैत्र और क्वांर नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस बार भीड़ के मद्देनज़र मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन ने सुरक्षा से लेकर सुविधाओं तक हर पहलू पर खास ध्यान दिया है. शारदीय नवरात्र इस साल 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा.

डोंगरगढ़ का यह धाम लगभग 1,600 फीट ऊंचाई पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए 1,000 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोपवे की व्यवस्था की गई है, हालांकि हाल ही में हुए हादसे ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया था. तकनीकी जांच और सुधार के बाद रोपवे को दोबारा शुरू किया गया है. इस बार ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि नवरात्र में सुबह से रात तक रोपवे चलेगा और बीच-बीच में नियमित मेंटेनेंस भी होगा.

डोंगरगढ़ की कहानी सदियों की आस्था और लोककथाओं का ताना-बाना है: प्राचीन काल में ‘कामावती’ (या कामाख्या नगरी) नाम से प्रसिद्ध यह स्थान लोकमान्य कथाओं के अनुसार राजा कामसेन के राज्य का केन्द्र था, जिनकी तपस्या से मां बगलामुखी/बम्लेश्वरी का यहाँ अवतरण माना जाता है; कुछ वार्ताएं इसे उज्जैन के विक्रमादित्य की कथा से भी जोड़ती हैं और स्थानीय-पुरातात्विक रेकॉर्ड व लोककथाएँ मंदिर को लगभग 2,000–2,200 वर्ष पुराना बताती हैं.

ऊँचे पहाड़ी शिखर पर स्थित बड़ी बम्लेश्वरी (लगभग 1,600 फीट) और नीचे की चोटी पर स्थित छोटी बम्लेश्वरी—दोनों ने समय के साथ तीर्थयात्रा की परंपरा गढ़ी; नवरात्र में यहाँ ‘ज्योति कलश’ और श्रद्धालुओं का सैलाब इस धाम को आधुनिक समय में भी जीवित रखता है. विकास के साथ रोपवे और रेल जैसी सुविधाओं ने पहुंच आसान की है,

आज मंदिर ट्रस्ट व जिला प्रशासन पारंपरिक आस्था और आधुनिक व्यवस्थाओं को संतुलित करते हुए तीर्थयात्रियों के स्वागत को व्यवस्थित करते हैं. भक्तों की सुविधा के लिए देवी ने पहाड़ी के नीचे भी छोटी बम्लेश्वरी और मंझली रणचंडी के रूप मे यहाँ स्वरूप धारण किया. यही वजह है कि यहां बड़ी और छोटी दोनों माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

नवरात्र पर्व के दौरान डोंगरगढ़ की सबसे बड़ी परंपरा है ज्योति कलश प्रज्वलन. इस साल ट्रस्ट के मुताबिक ऊपर वाले मंदिर में करीब 7,000, नीचे वाले मंदिर में 900 और शीतला माता मंदिर में 61 ज्योति कलश जलाए जाएंगे. इनमें देश के अलग-अलग राज्यों से आए भक्तों के साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और नामीबिया जैसे देशों से भी श्रद्धालु अपनी आस्था अर्पित करेंगे.

भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रस्ट ने इस बार छिरपानी में विशाल पार्किंग की व्यवस्था की है. रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी महज आधा किलोमीटर है, जहां तक ऑटो या पैदल आसानी से पहुंचा जा सकता है. मंदिर परिसर और चढ़ाई वाले रास्तों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. एसी वेटिंग हॉल, कैंटीन, ठंडे पानी की व्यवस्था और चिकित्सा बूथ जैसी सुविधाओं को और सुदृढ़ किया गया है, प्रशासन ने मेले की तैयारियां पूरी कर ली हैं.

आस्था और विश्वास का प्रतीक मां बम्लेश्वरी धाम सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. नवरात्र के दौरान यहां उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ इस बात का सबूत है कि भक्तों के लिए मां बम्लेश्वरी न सिर्फ आस्था का धाम हैं, बल्कि मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास भी.

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