
बक्सर
देश की रक्षा में प्राण न्योछावर करने वाले बिहार के वीर सपूत 46 वर्षीय हवलदार सुनील सिंह यादव को रविवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन हमले में घायल हुए सुनील सिंह ने पांच जून को उधमपुर आर्मी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। आज उनके पैतृक गांव नरबतपुर में गमगीन माहौल के बीच उन्हें रानी घाट पर पंचतत्व में विलीन किया गया।
तिरंगा यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, गूंजे देशभक्ति के नारे
सुनील सिंह का पार्थिव शरीर जब गांव लाया गया तो वातावरण 'भारत माता की जय', 'वंदे मातरम्' और 'शहीद सुनील अमर रहें' के नारों से गूंज उठा। उनके गांव से करीब आठ किलोमीटर दूर तक तिरंगा यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों लोग बाइक और पैदल शामिल हुए। लोग हाथों में तिरंगा लिए, गर्व और गम से लबरेज भावनाओं के साथ अंतिम यात्रा में शरीक हुए।
पत्नी और पिता का हाल बेहाल
पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए घर के बाहर रखा गया, जहां शहीद की पत्नी बेसुध होकर रोने लगीं। पिता की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे, लेकिन बेटे की शहादत पर गर्व भी था। गांव और आसपास के दर्जनों गांवों से लोग उन्हें अंतिम सलामी देने पहुंचे। पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई थी, पर साथ ही शहीद के प्रति सम्मान भी हर चेहरे पर दिख रहा था।
बेटे ने निभाई अंतिम जिम्मेदारी, बूढ़े पिता ने किया सैल्यूट
शहीद सुनील सिंह यादव को उनके 14 वर्षीय बेटे सौरभ यादव ने रानी घाट पर मुखाग्नि दी। इस दृश्य ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। मुखाग्नि देने के बाद बेटे और बुजुर्ग पिता दोनों ने शहीद को सैल्यूट किया। यह क्षण केवल एक परिवार की विदाई नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के वीर को सम्मान देने का था। मौके पर सेना के जवानों के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी, स्थानीय नेता और नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद थे।