धर्म अध्यात्म

नवरात्रि 2025: 21 या 22 सितंबर से होगी शुरुआत? जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025, सोमवार से शुरू हो रही है. और यह पावन पर्व 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त होगा. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इन दिनों में भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी विशेष कृपा पाने के लिए भक्ति में लीन हो जाते हैं. आइए जान लेते हैं किस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें और पूजा का सही विधि- विधान क्या है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का पहला दिन कलश स्थापना के साथ शुरू होता है, जिसे घटस्थापना भी कहते हैं. कलश स्थापना का मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे शुभ समय में ही किया जाना चाहिए.

    घटस्थापना मुहूर्त: 22 सितंबर 2025, सुबह 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक.
    अवधि: 1 घंटा 56 मिनट.

कलश स्थापना की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर घर को शुद्ध करें और पूजन स्थल को गंगाजल से पवित्र करें. फिर पूजा के कलश को अच्छी तरह से साफ करके उसमें जल भरें. अब इसमें सुपारी, सिक्का, अक्षत, और फूल डालें. मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर रोली, अक्षत, मौली, सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें. कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कपड़े से लपेटें और मौली से बांध दें.

कलश के समीप मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और धूप, दीप, पुष्प अर्पित कर पूजन आरंभ करें. सबसे आखिर में दुर्गा सप्तशती, देवी स्तुति या देवी कवच का पाठ करें. कलश स्थापना के लिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. क्योंकि सही विधि से पूजा करने पर मां दुर्गा की कृपा जल्दी मिलती है.

नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए नौ दिनों तक युद्ध किया था. आखिर में, उन्होंने महिषासुर का वध करके धर्म की रक्षा की. इसीलिए, इन नौ दिनों को मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित किया गया है. इस साल, मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा, जो सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है. यह आने वाले समय में अच्छी बारिश और समृद्धि का संकेत देता है. नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है, कष्ट दूर होते हैं और मन शांत रहता है.

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