
जबलपुर
हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि पुनर्विवाह हो जाने के बाद विवाह विच्छेद आदेश को चुनौती देने वाली अपील प्रचलन योग्य नहीं है। अपील निर्धारित समय सीमा में दायर की जाती तो सुनवाई योग्य थी। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि सुनवाई करने से तीसरे पक्ष के वैवाहिक नागरिक अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
नरसिंहपुर निवासी रजनी पटेल की तरफ से दायर अपील में कुटुम्ब न्यायालय जबलपुर के द्वारा 24 जून 2022 को पारित विवाह विच्छेद आदेश को चुनौती दी गयी थी। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अपीलकर्ता ने तलाक के आदेश को चुनौती देते हुए 6 दिसम्बर 2022 को अपील दायर की थी। अपीलकर्ता ने निर्धारित अवधि के 130 दिन बाद आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की है। प्रतिवादी ने अपील की निर्धारित अवधि पूर्ण होने के बाद 28 अक्तूबर 2022 को पुनर्विवाह कर लिया है।
अपीलकर्ता निर्धारित समय अवधि में अपील दायर करती तो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत पुनर्विवाह पर प्रतिबंध का प्रावधान था। प्रतिवाद ने अपील दायर करने की निर्धारित समय सीमा पूर्ण होने के बाद वैध रूप से पुनर्विवाह किया है। समय अवधि के लिए क्षमादान प्रदान करने के बावजूद भी अपील में गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेने के प्रतिकूल प्रभाव होंगे। इससे तीसरे पक्ष के वैवाहिक नागरिक अधिकार खतरे में पड़ेंगे। युगलपीठ ने अपील को खारित करते हुए निचली अदालत के समक्ष भरण-पोषण के लिए आवेदन प्रस्तुत करने अपीलकर्ता को स्वतंत्रता प्रदान की है।