नई दिल्ली
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार का स्थान निगमबोध घाट में तय कर दिया गया है। वहीं कांग्रेस ने इसपर नाराजगी जताते हुए कहा है कि जिस स्थान पर उनका अंतिम संस्कार हो वहीं पर स्मारक भी बनना चाहिए। कांग्रेस के कहना है कि जिस तरह से राजघाट में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार हुआ और उनका स्मारक बनाया गया, उसी तरह डॉ. मनमोहन सिंह का भी स्मारक बनाया जाए। केंद्र का कहना है कि स्मारक के लिए ट्रस्ट बनाया जाएगा और फिर भूमि भी आवंटित की जाएगी। वहीं कांग्रेस के आरोपों के बाद लोग पार्टी के नरसिम्हा राव की याद दिला रहे हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को अपने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को याद करना चाहिए कि किस तरह से उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में नहीं करने दिया गया और फिर 10 साल की सरकार के दौरान उनका स्मारक भी नहीं बनवाया गया।
पीवी नरसिम्हा राव और कांग्रेस में क्यों आ गई थी खटास
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने अपनी किताब '1991 हाउ पीवी नरसिम्हा राव मेड हिस्ट्री' में लिखा कि नरसिम्हा राव ही देश के पहले एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर थे। उन्हे भी नहीं पता था कि वह प्रधानमंत्री बनने वाले थे। राजीव गांधी की हत्या के बाद वह अपना बैग पैक कर हैदराबाद जाने को तैयार थे। लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद ही कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते खराब होने लगे। हालात ऐसे हो गए कि 2004 में उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी दिल्ली में नहीं किया जा सका। इसके अलावा कांग्रेस के अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह उनके शव को कांग्रेस मुख्यालय में भी नहीं रखा गया। उनका शव अंतिम यात्रा के वाहन पर कांग्रेस मुख्यालय के बाहर ही आधा घंटा इंतजार करता रहा लेकिन मुख्यालय के गेट नहीं खुले।
23 दिसंबर 2004 को नरसिम्हा राव का निधन हुआ था। उस समय यूपीए की सरकार थी और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे। नरसिम्हा राव ही वह शख्स थे जिन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को डायरेक्ट एंट्री से वित्त मंत्री बना दिया था। उस समय के गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने नरसिम्हा राव के बेटे प्रभाकरा से कहा कि उनका अंतिम संस्कार हैदराबाद में किया जाए। हालांकि परिवार का कहना है किअन्य प्रधानमंत्रियों की तरह उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही होना चाहिए क्योंकि उनकी कर्मभूमि दिल्ली ही रही है।
नरसिम्हा राव के परिवार से कई बड़े नेताओं ने अपील की कि उनका अंतिम संस्कार हैदारबाद में ही करवाया जाए। जब परिवार नहीं तैयार हुआ तो सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस के दिग्गज प्रणव मुखर्जी 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित उनके आवास पर पहुंचे। डॉ. मनमोहन सिंह ने उनके बेटे से पूछा कि उन्होंने अंत्येष्टि को लेकर क्या सोचा है। जब उन्होंने दिल्ली में अंत्येष्टि करने की इच्छा जताई तो डॉ. सिंह ने सोनिया गांधी से कुछ बात की। कांग्रेसी नेताओं ने आश्वासन दिया कि उनका स्मारक दिल्ली में बनवाया जाएगा। इसके बाद परिवार उनके शव को हैदराबाद ले जाने को तैयार हो गया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए अलग से स्मारक बनाने की मांग पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कड़ी आलोचना की है। शर्मिष्ठा ने कहा कि जब उनके पिता (प्रणब मुखर्जी) का 2020 में निधन हुआ था, तब कांग्रेस नेतृत्व ने न तो कोई शोक सभा आयोजित की और न ही कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक बुलाई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व ने इस मामले में उन्हें गुमराह किया था।
आपको बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में 27 दिसंबर को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुआ। खरगे ने प्रधानमंत्री से उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी।
शर्मिष्ठा ने बताया कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने उन्हें यह बताया था कि भारत के राष्ट्रपति के लिए शोक सभा का आयोजन नहीं किया जाता है। उन्होंने इसे पूरी तरह बेतुका और निराधार करार दिया और कहा कि वह अपने पिता के डायरी में पढ़ चुकी हैं कि जब पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन का निधन हुआ था, तो कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश खुद प्रणब मुखर्जी ने तैयार किया था।
इसके अलावा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सीआर केसवन के एक पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें यह बताया गया था कि कांग्रेस ने पार्टी के अन्य नेताओं को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज किया क्योंकि वे गांधी परिवार के सदस्य नहीं थे।
इस मुद्दे पर डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे डॉ. संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पुस्तक का भी उल्लेख किया गया, जिसमें यह जिक्र किया गया था कि कांग्रेस नेतृत्व ने कभी पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कोई स्मारक नहीं बनाया, जिनका 2004 में निधन हो गया था। पुस्तक में यह भी दावा किया गया था कि कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के दाह संस्कार को दिल्ली में करने के बजाय हैदराबाद में करने की कोशिश की थी।
कांग्रेस मुख्यालय के बाहर इंतजार करता रहा शव
पूर्व पीएम नरसिम्हा राव का शव वाहन सजाया गया। तिरंगे से लिपटी उनके पार्थिव शरीर को तोप गाड़ी में रखा गया और वाहन कांग्रेस मुख्यालय के बाहर रुक गया। आधा घंटा शव वाहन वहीं खड़ा रहा लेकिन कांग्रेस मुख्यालय के गेट नहीं खुले। सोनिया गांधी समेत अन्य नेताओं ने बाहर आकर उन्हें श्रद्धांजलि दे दी। इसके बाद उनका वाहन एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया। 'द हाफ लायन' में विनय सीतापति लिखते हैं कि कांग्रेस और गाँधी परिवार को यह नहीं पसंद था कि आर्थिक सुधारों का क्रेडिट उन्हें दिया जाए। इसके अलावा उनका मानना था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरने के पीछे भी नरसिम्हा राव की मिलीभगत थी। ऐसे में कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं थे। 2004 के बाद 2014 तक यूपीए की सरकार रही लेकिन नरसिम्हा राव का स्मारक दिल्ली में नहीं बनाया गया। बाद में मोदी सरकार में उनके स्मारक का निर्माण करवाया गया और उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया।
यही वजह है कि नरसिम्हा राव से डॉ. मनमोहन सिंह की तुलना की जा रही है। कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार को पहले ही उनकी अंत्येष्टि के लिए भूमि आवंटित कर देनी चाहिए जिससे कि अंतिम संस्कार वाली जगह ही स्मारक बनाया जा सके।