झारखंड/बिहारराज्य

महुआ में ओवैसी का हमला: बिहार में इंसाफ नहीं, जुल्म की सरकार

वैशाली

एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वैशाली जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जनसभा में बिहार की सियासी पार्टियों पर तीखा हमला किया और राज्य में दलित‑पिछड़ों के साथ होने वाले कथित अन्याय पर चिंता जताई।

ओवैसी ने कहा कि बिहार में दलितों और वंचितों से इंसाफ छीना नहीं जा सकता और राज्य में चल रहे “आरएसएस एजेंडा” को विफल किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या तेजस्वी यादव ओवैसी को रोकना चाहते हैं या बीजेपी को सफल बनाना चाहते हैं—यह निर्णय महुआ विधानसभा क्षेत्र की जनता को खुद लेना होगा।

जनसभा में उन्होंने महुआ थाने से जुड़े एक विवादस्पद मामले का भी ज़िक्र किया। ओवैसी ने कहा कि 5 सितंबर को थाने में बंद एक कैदी (पहचान: नाजिर/नासिर साह) को राजापाकर थाने की पुलिस ने कथित रूप से बेवजह उठाकर ले जाया और मारपीट की गई। उनके अनुसार कैदी तीन दिन बाद शव के रूप में वापस आया। ओवैसी ने इस घटना को बिहार में शासकीय दोहरे मानकों का उदाहरण बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया की मांग की।

उन्होंने कहा कि यदि मृतक का नाम नाजिर/नासिर साह था तो भी उसे न्याय और सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, लेकिन सरकार और प्रशासन की नाकाफी प्रतिक्रिया इस बात का सबूत है कि सिस्टम कमजोर है। ओवैसी ने पूछा कि पुलिस ने कैसे किसी व्यक्ति को तीन दिन तक थाने में रखकर उसका जीवन प्रभावित होने दिया और इसे किसने सही ठहराया।

ओवैसी ने मुख्यमंत्री और डीजीपी से इस मामले पर त्वरित कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि कम से कम एसडीएम के नेतृत्व में एक स्वतंत्र जांच टीम गठित करके जिम्मेदारों की पहचान कर तत्काल सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यहाँ न्याय नहीं मिलता तो जनता को अपने वोट के जरिए अपनी आवाज़ उठानी पड़ेगी।

सभा में ओवैसी ने जनता से अपील की कि वे पुलिस‑प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व से जवाबदेही मांगें और अपने अधिकारों के लिए संगठित रहें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर अधिकारी न्याय नहीं कर सकेंगे तो अल्लाह ही न्याय देगा—फिर भी कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई आवश्यक है।

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