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चरखी दादरी में अपनी बहन के घर भात भरने आए लोगों ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अनुकरणी पहल शुरू की

चरखी दादरी
चरखी दादरी जिले के गांव झोझू खुर्द में गांव हड़ौदा से अपनी बहन के घर भात भरने आए लोगों ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अनुकरणी पहल शुरू की है। दुल्हें के मामा अपने साथ पौधे लेकर पहुंचे और वहां मौजूद लोगों को पांरपरिक उपहार पैंट-शर्ट, कंबल-लोई की जगह पौधे भेंट किए। उनकी इस पहल की क्षेत्र में काफी चर्चा हो रही है और लोग सराहना कर रहे हैं।

बता दें कि झोझू खुर्द में सुरेंद्र शर्मा के यहां उनके दो बेटों योगेश कुमार एवं कपिल देव का विवाह बड़े हर्षोल्लास और भारतीय संस्कृति की परंपराओं के अनुरूप संपन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर सभी रस्मों को पूरी विधि-विधान से निभाया गया। इस विवाह का सबसे अनोखा और चर्चा का विषय बना भात रस्म रहा। जिसमें पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक नई परंपरा की नींव रखी गई। गांव हड़ौदा कलां से आए भातियों ने इस बार भात के रूप में कोई पारंपरिक उपहार नहीं दिया बल्कि एक अनुकरणीय पहल करते हुए प्रत्येक उपस्थित जन को मान-सम्मान के प्रतीकस्वरूप चीकू का पौधा भेंट किया। इस अनूठी पहल की शुरुआत मास्टर सोमवीर भारद्वाज ने की जो राजकीय प्राथमिक विद्यालय भारीवास में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

जब मास्टर सोमवीर भारद्वाज से इस नवाचार के पीछे के विचार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रकृति और पेड़-पौधों के प्रति उनका लगाव बचपन से ही रहा है। लेकिन एक शिक्षक होने के नाते उनका दायित्व बनता है कि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हम परंपराओं को निभाते हैं लेकिन हमें समय के साथ उनमें सार्थकता भी जोड़नी चाहिए। पेड़-पौधों का संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है। यदि हम इन्हें अपनाएं तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद होगा। उन्होंने आगे कहा कि आज हम अपने भांजों योगेश कुमार और कपिल देव के लिए जीवन साथी चुनने जा रहे हैं लेकिन यदि गहराई से देखा जाए तो हमारे सच्चे जीवन साथी ये पेड़-पौधे ही हैं। हमारी सांसें, हमारा स्वास्थ्य और हमारा पूरा जीवन इन्हीं पर निर्भर करता है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम न केवल विवाह जैसे शुभ अवसरों पर, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर पर्यावरण संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाएं।

गांव में हुई इस अनूठी पहल की सराहना
मास्टर सोमवीर भारद्वाज द्वारा की गई इस पहल की पूरे गांव में चर्चा रही। स्थानीय लोगों ने इसे न केवल एक प्रेरणादायक कार्य बताया, बल्कि इसे एक नई परंपरा के रूप में अपनाने की बात भी कही। विवाह समारोह में उपस्थित गणमान्य लोगों ने पौधे ग्रहण करते हुए यह संकल्प लिया कि वे इन्हें अपने घरों और खेतों में रोपित करेंगे और उनका संरक्षण करेंगे।

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