झारखंड/बिहारराज्य

नए कानून का पुलिस कर्मियों को पढ़ाया जा रहा पाठ

– सीआईडी के अंतर्गत एटीएस में प्रत्येक महीने औसतन 350 कर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
– पिछले तीन वर्षो के दौरान इस सेंटर से 3137 पुलिस पदाधिकारियों को दी जा चुकी है ट्रेनिंग

पटना,

देश में अंग्रेजों के जमाने के सभी आपराधिक कानूनों को बदलते हुए 2023 में नये कानून बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) को लॉच किया गया है। इसमें कानून से लेकर न्याय व्यवस्था तक में व्यापक बदलाव किए गए। इसमें उल्लेखित तमाम बारीकियों की समुचित जानकारी सभी स्तर के पुलिस कर्मियों खासकर दारोगा से लेकर डीएसपी और इससे ऊपर के तक के पदाधिकारियों को देना अनिवार्य हो गया है। कानून का पाठ पढ़ाने के लिए सभी पुलिस कर्मियों के लिए समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, जो निरंतर जारी है। सीआईडी में मौजूद एडवांस ट्रेनिंग स्कूल (एटीएस) को इसके लिए खासतौर से तैयार किया गया है। प्रत्येक महीना यहां औसतन 350 यानी प्रत्येक जिला के 8 पुलिस पदाधिकारियों को विशेष विषय वस्तुओं की ट्रेनिंग दी जाती है। पुलिस पदाधिकारियों को सभी नए बदलावों से अपडेट करते हुए उन्हें अधिक सक्षम, जानकार और तकनीकी रूप से दक्ष बनाना है।
       आगामी 2 सितंबर से इस प्रशिक्षण संस्थान का 173वां बैच का प्रशिक्षण शुरू होने जा रहा है। 171वें बैच का प्रशिक्षण 8 से 21 जुलाई तक आयोजित किया गया था, जिसमें सीधे नियुक्त 343 दारोगा को ट्रेनिंग दी गई थी। इसके बाद 172वां और अब 173वां बैच को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

इन विषयों का दिया जा रहा प्रशिक्षण
पुलिस पदाधिकारियों को एसटीएस के माध्यम से 15 दिनों की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें नए विधिक ज्ञान, डिजिटल फॉरेंसिक, सीसीटीवी विश्लेषण, मोबाइट डाटा ट्रैकिंग, डीएनए, फिंगरप्रिंट, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा कुछ विशेष विषयों की जानकारी दी जाती है। इसमें पुलिस में अनुशासन एवं व्यावहार से संबंधित नीतिशास्त्र, एफआईआर, जीरो एफआईआर एवं प्रारंभिक जांच, विवादित तथ्य, सुसंगत तथ्य, गवाहों का बयान एवं कबूलनामा कथन, मानव शरीर से संबंधित एवं संपत्ति मूलक अपराधों में अनुसंधान की प्रक्रिया, गिरफ्तारी की प्रक्रिया, महत्वपूर्ण पुलिस आदेश एवं न्यायालय के निर्णय, अनुसंधान में फॉरेंसिक का महत्व, फिंगरप्रिंट, फूटप्रिंट, क्राइम सीन फोटोग्राफी, ई-साक्ष्य, सीसीटीएनएस के अलावा भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा-107 के तहत अपराध से अर्जित संपत्ति की जब्ती की प्रक्रिया और बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत की जाने वाली प्रक्रिया की विस्तारपूर्वक जानकारी दी जाती है।  

प्रतिष्ठित संस्थानों में भी कराया जा रहा प्रशिक्षण
पुलिस पदाधिकारियों को कई विशिष्ट बिन्दुओं पर प्रशिक्षण देने के लिए देश के प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें नई दिल्ली स्थित नेश्नल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, एनसीआरबी, चंडीगढ़ स्थित सीडीटीआई, हैदराबाद स्थित नार्थ ईस्ट पुलिस एकेडमी, मेघालय स्थित यूएमएसएडब्ल्यू जैसे संस्थान शामिल हैं। आने वाले समय में ऐसे संस्थानों से दो हजार पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण देने की योजना है।

1945 में हुई थी इसकी स्थापना
एटीएस की स्थापना 1945 में की गई थी। इसका मकसद खासतौर से पुलिस पदाधिकारियों को विभिन्न नए विषयों पर प्रशिक्षण देना था। एक समय इस संस्थान में नेपाल, भूटान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका समेत अन्य देशों के पदाधिकारी आकर प्रशिक्षण लेते थे। इस संस्थान से ट्रेनिंग देने का सिलसिल बीच के कुछ वर्षों को छोड़कर निरंतर जारी है।

पुलिस कर्मियों को नए कानून समेत तमाम मूलभूत बातों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए समुचित ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाया गया है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। आगामी वर्ष तक 2 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों हर तरह से सक्षम और सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि समुचित तरीके से पुलिसिंग हो सके।
पारसनाथ (एडीजी-सीआईडी, बिहार पुलिस)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button