
रूस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनेभारत के लिए बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने अपने खास दोस्त प्रधानमंत्री को एक खास पेशकश की है। भारतीय और रूसी अधिकारियों ने असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग के तहत बड़े और छोटे न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के स्थानीयकरण (Localisation) में सहयोग की पेशकश की है। यह घोषणा रूस के सरकारी परमाणु ऊर्जा निगम रोसाटॉम ने की। रोसाटॉम के महानिदेशक एलेक्सी लिखाचोव ने 15-20 सितंबर को वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के 69वें वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में यह प्रस्ताव रखा।
भारत की औद्योगिक और तकनीकी क्षमताओं का भी मिलेगा फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सहयोग मोदी सरकार के ऊर्जा आत्मनिर्भरता और रणनीतिक सुरक्षा एजेंडे को मजबूती देने वाला कदम है। साथ ही यह भारत-रूस दोस्ती और दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी का भी प्रतीक है। विज्ञप्ति में कहा गया कि दोनों पक्षों ने तमिलनाडु के कुडनकुलम एनपीपी में चरण 2 और 3 के लिए निर्माणाधीन चार इकाइयों की प्रगति की समीक्षा की। इसके अलावा, भारत में रूसी डिजाइन वाले बड़े और छोटे न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के क्रमिक निर्माण के लिए आगे के सहयोग के अवसरों पर भी चर्चा हुई।कुडनकुलम एनपीपी के पहले चरण में पहले ही दो इकाइयां चालू हो चुकी हैं। इस सहयोग से भारत के स्थानीय औद्योगिक और तकनीकी क्षमताओं का भी फायदा मिलेगा और देश को ऊर्जा सुरक्षा में मजबूती मिलेगी।
अमेरिका, चीन और पाकिस्तान पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम केवल ऊर्जा सहयोग तक सीमित नहीं है। अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए संदेश भी है । रूस के समर्थन से भारत के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा मिलने से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर असर पड़ेगा। पाकिस्तान के लिए यह चिंता का विषय है, क्योंकि न्यूक्लियर तकनीक में भारत की बढ़ती ताकत उसकी रणनीति को चुनौती दे सकती है। चीन और अमेरिका भी भारत की इस बढ़ती ऊर्जा क्षमताओं को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।