
नालंदा
नालंदा जिले के लहेरी थाना क्षेत्र स्थित मेहरपर मोहल्ला गुरुवार की सुबह अचानक पुलिस कार्रवाई के चलते चर्चा में आ गया। यहां तीन गाड़ियों में सवार होकर पहुंची पुलिस टीम ने प्रॉपर्टी डीलर रविंद्र प्रसाद उर्फ रवि यादव के घर में बिना सर्च वारंट के छापेमारी की। पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल परिवार को भयभीत कर दिया, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बिना जानकारी के घर में घुसी पुलिस
रवि यादव के मुताबिक, सुबह सुबह जब पुलिस टीम उनके घर पहुंची, तो परिवार के लोग घबरा गए। रवि यादव ने बताया, "मैं बार बार पूछता रहा कि मेरे खिलाफ क्या आरोप है, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। बिना कुछ बताए घर की तलाशी ली गई। न वारंट दिखाया गया, न कोई ठोस कारण बताया गया।" करीब दो घंटे तक चली इस तलाशी के दौरान पुलिस ने घर का पूरा सामान बिखेर दिया, जिससे घर पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया। बच्चों में इस छापेमारी को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है।
पुलिस ने क्या कहा?
इस मामले में लहेरी थानाध्यक्ष रंजीत कुमार रजक ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें सूचना मिली थी कि घर में अवैध हथियार हैं, इसी आधार पर छापेमारी की गई। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि तलाशी के दौरान घर से कुछ भी बरामद नहीं हुआ।
पड़ोसियों की नजर में बदनाम
रवि यादव ने बताया कि वह ठेकेदारी और प्रॉपर्टी डीलिंग का वैध व्यवसाय करते हैं और उनके खिलाफ आज तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है और अब मोहल्ले में लोग उन्हें शक की नजर से देख रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुलिस को बिना वारंट और ठोस सबूत के किसी नागरिक के घर में इस तरह से छापा मारने का अधिकार है? क्या ऐसे मामलों में नागरिकों की गरिमा और निजता की रक्षा नहीं होनी चाहिए?