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अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पहुंची, खाने-पीने की चीजें हुईं महंगी

नई दिल्ली

अगस्त में रिटेल महंगाई दर जुलाई के 1.6% से थोड़ा बढ़कर 2.7% पर पहुंच गई है। इसकी वजह कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी है।रिटेल महंगाई के आधिकारिक आंकड़े आज सरकार ने जारी किए हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी, RBI का लक्ष्य महंगाई को 4% ±2% की सीमा में रखने का है।

जुलाई में खाने-पीने के सामानों की कीमत घटी थीं

महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महीने-दर-महीने की महंगाई माइनस 1.06% से घटकर माइनस 1.76% हो गई है।

जून महीने में ग्रामीण महंगाई दर 1.72% से घटकर 1.18% हो गई है। वहीं शहरी महंगाई 2.56% से घटकर 2.05% पर आ गई है।

RBI ने महंगाई का अनुमान घटाया

4 से 6 अगस्त तक हुई RBI मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया था।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।

इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

सब्जियों और दालों की अच्छी पैदावार का असर

रिपोर्ट के अनुसार, लगातार अच्छी पैदावार और सप्लाई में सुधार की वजह से सब्जियों और दालों के दाम कम हुए हैं. सितंबर में भी टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. यही वजह है कि जरूरी सामानों का दाम नियंत्रण में है.

प्याज और आलू में सबसे तेज गिरावट

बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि प्याज की खुदरा कीमतों में सालाना आधार पर 37.5% की गिरावट दर्ज की गई है, जो जनवरी 2021 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. आलू की कीमतें भी 44 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं.

दालों की कीमतें भी घटीं

दालों में भी लगातार गिरावट जारी है. अगस्त में तुअर/अरहर की कीमतों में 29% तक की कमी आई है. इसके अलावा उड़द में 8.9%, मूंग में 5.2% और मसूर में 1.4% की गिरावट देखी गई है.

ग्लोबल मार्केट और सरकार के कदम से मदद

वैश्विक स्तर पर भी खाद्य और ऊर्जा की कीमतें नियंत्रण में हैं. साथ ही, सरकार ने FMCG और टिकाऊ वस्तुओं पर GST दरें कम की हैं, जिससे महंगाई को और राहत मिली है. बैंक ऑफ बड़ौदा का अनुमान है कि इसका असर CPI पर 55-75 बेसिस प्वाइंट तक दिखेगा.

खरीफ सीजन का समर्थन

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस खरीफ सीजन में दालों की बुवाई का क्षेत्र बढ़ा है. इसी वजह से उत्पादन अच्छा हुआ है और कीमतों पर दबाव कम हुआ है. अनाजों में भी चावल की कीमतें धीरे-धीरे नीचे आ रही हैं.

CPI से तय होती है महंगाई

एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।

अमेरिका में बढ़ी महंगाई! गैस, ग्रॉसरी, होटल और हवाई टिकट सब कुछ हुआ महंगा

अमेरिका में खुदरा महंगाई दर अगस्त 2025 में बढ़कर 2.9 प्रतिशत हो गई, जो इस साल जनवरी के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। अमेरिकी श्रम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, गैस, किराने का सामान, होटल के कमरे, हवाई किराया, कपड़े और पुरानी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी इसके पीछे प्रमुख कारण रही। जुलाई में खुदरा महंगाई दर 2.7 प्रतिशत थी, यानी अगस्त में इसमें 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि उस समय हुई है जब उपभोक्ता पहले से ही बढ़ती लागतों के दबाव में हैं, जिससे घरेलू बजट पर असर पड़ रहा है।

कोर महंगाई भी बनी हुई है ऊंची

न्यूज एजेंसी भाषा ने रिपोर्ट के अनुसार बताया कि अगर खाद्य और ईंधन की अस्थिर कीमतों को हटा दिया जाए, तो कोर महंगाई दर अगस्त में 3.1 प्रतिशत रही, जो जुलाई के समान है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि महंगाई का दबाव केवल अस्थायी कारकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक रूप से अर्थव्यवस्था में फैला हुआ है।

फेड की अगली बैठक पर टिकी नजरें

यह डेटा ऐसे समय आया है जब फेडरल रिजर्व अगले सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक करने वाला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि नीति निर्धारक प्रमुख ब्याज दर को मौजूदा 4.3 प्रतिशत से घटाकर लगभग 4.1 प्रतिशत कर सकते हैं।

हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दरों में कटौती का दबाव और बढ़ती महंगाई मिलकर फेड के सामने एक कठिन स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं। उन्हें एक संतुलन साधना होगा। जहां आर्थिक विकास को समर्थन मिले, लेकिन महंगाई भी काबू में रहे।

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