पंजाबराज्य

सिख कैदी बलवंत सिंह राजोआना ने सिख समुदाय से एकजुट होने की अपील की

पंजाब
सिख कैदी बलवंत सिंह राजोआना ने सिख समुदाय से एकजुट होने की अपील की है। अपने भाई कुलवंत सिंह राजोआना की अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए पैरोल पर बाहर आए बलवंत सिंह राजोआना ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अतीत में आपसी झगड़ों के कारण सिख संस्थाएं कमजोर हुई हैं। उन्होंने कहा कि वह वक्ता नहीं हैं और उन्हें भाषण देना नहीं आता, लेकिन जो उनके दिल में है, वही करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर हमारी संस्थाएं कमजोर होंगी, तो हमारे साथ अन्याय होता रहेगा।

उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2012 को जब मुझे फांसी की सजा सुनाई गई, तो सिख समुदाय ने अपने घरों पर भगवा झंडे फहराए और एकजुट होकर मेरी फांसी रुकवाई। 12 साल बाद भी उनके मामले में कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इतने सालों से वे फांसी के फंदे में बंद हैं, लेकिन मामले का फैसला नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो किया, वह उन्होंने अदालत में स्वीकार किया है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी फांसी की सजा के खिलाफ अपील नहीं की। उन्होंने कहा कि वह केवल मामले पर फैसला चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उनसे अदालत में अपना वकील बनकर केस लड़ने के लिए कह रही है। उन्होंने भोग समारोह में शामिल होने के लिए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और अन्य का धन्यवाद किया।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button