
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. शिव पुराण में इस व्रत का महिमा मंडन है. इस दिन भगवान शिव के भक्त भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा और व्रत का पालन करते हैं. कहते हैं कि इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है. साथ ही जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा अविवाहितों के विवाह के योग बनने के साथ मनपसंद जीवन साथी भी मिल सकता है. वहीं अगल-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा भी अलग-अलग होती है.
आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 23 जून को देर रात 1 बजकर 21 मिनट पर होगी, वहीं तिथि का समापन 23 जून को रात 10 बजकर 9 मिनट पर होगा. ऐसे में प्रदोष व्रत 23 जून को किया जाएगा.
सोम प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के पहले ,सोम प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त की शुरुआत शाम 7 बजकर 22 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 23 मिनट पर होगी. इस दौरान व्रत विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं.
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोमवार के दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. वहीं इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवों के देव महादेव को समर्पित इस व्रत को करने से यह प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है.