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पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सीबीआई से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब, सुजय भद्र की मुसीबतें

कोलकाता

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और वर्तमान विधायक पार्थ चटर्जी की ओर से दायर जमानत याचिका पर शुक्रवार को नोटिस जारी कर CBI से जवाब मांगा। यह मामला राज्य के 'नौकरी के लिए नकद' घोटाले से संबंधित CBI केस से जुड़ा है। इससे पहले, दिसंबर 2024 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से 1 फरवरी 2025 को जमानत मिल गई थी। हालांकि, CBI द्वारा दर्ज मामले में उनकी जमानत याचिका पर अभी सुनवाई लंबित है। इधर पश्चिम बंगाल के करोड़ों रुपये के स्कूल नौकरी घोटाले में सीबीआई ने कोलकाता की एक विशेष अदालत में नई चार्जशीट दाखिल की है। इसमें मुख्य आरोपी सुजय कृष्ण भद्र पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का नया आरोप लगाया गया है।

पश्चिम बंगाल के 'नौकरी के लिए नकद' घोटाले में प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के तहत सहायक शिक्षकों की अवैध भर्ती के आरोप शामिल हैं। 2022 में इस घोटाले के संबंध में भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया, जिसके बाद पार्थ चटर्जी (तत्कालीन उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री) की गिरफ्तारी हुई।

इन आरोपों पर केस
आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिसमें उन्होंने अपने सार्वजनिक पदों का दुरुपयोग करते हुए विभाग में नौकरियों के बदले रिश्वत ली। पार्थ चटर्जी ने पहले कलकत्ता हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद चटर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

डिजिटल डेटा भी किए नष्ट
सीबीआई ने चार्जशीट में भद्र पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 238 के तहत आरोप लगाया गया है। यह धारा पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 201 थी। यह धारा 'सबूतों को गायब करने' से संबंधित है। ऐसा समझा जाता है कि सीबीआई ने जांच अधिकारियों द्वारा प्राप्त कुछ खास सुरागों के आधार पर भद्र पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। इन सुरागों से पता चलता है कि आरोपी कागजी दस्तावेजों और डिजिटल डेटा, दोनों तरह के सबूतों को नष्ट करने में सीधे तौर पर शामिल था। केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में अपनी जाँच के निष्कर्षों को भी विस्तार से बताया है।

दो अन्य के भी चार्जशीट में नाम
भद्र के अलावा दो अन्य लोगों को भी चार्जशीट में नामजद किया गया है। ये हैं, संतनू बंदोपाध्याय और अरुण हाजरा। दोनों पर इस कथित घोटाले में बिचौलिए होने का आरोप है। भद्र फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने उन्हें इलाज के लिए सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी।

सुजय कृष्ण भद्र जमानत पर बाहर
जमानत देते हुए, खंडपीठ ने भद्र की आवाजाही और लोगों से मिलने पर सख्त शर्तें लगाई थीं। इस महीने की शुरुआत में, सीबीआई के अधिकारियों ने तीन बार असफल होने के बाद, भद्र और एक अन्य आरोपी कुंतल घोष के वॉयस सैंपल लिए थे। इस कथित घोटाले में ईडी के दर्ज मामले में मुकदमे की प्रक्रिया कोलकाता की एक विशेष धन शोधन निवारण (PMLA) अदालत में शुरू हो चुकी है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में कुल 53 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें से 29 व्यक्ति हैं और बाकी 24 कॉर्पोरेट संस्थाएं या ट्रस्ट हैं।

आरोपी बनाए गए प्रमुख लोगों में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और उनके दामाद कल्याणमॉय भट्टाचार्य शामिल हैं। चटर्जी की मृत पत्नी के नाम पर बने एक ट्रस्ट, बबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट को भी ईडी की चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इस ट्रस्ट को गैरकानूनी धन दान के रूप में दिखाया गया था और इस तरह उसे दूसरी जगह भेज दिया गया था। एक कॉर्पोरेट संस्था, जहां भद्र पहले मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) थे, को भी ईडी की चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है।

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