
नेपाल
नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री का नाम तय हो गया है. सुशीला कार्की नई अंतरिम पीएम के रूप में शपथ लेंगी. गौरतलब है कि सुशीला कार्की नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस रह चुकी हैं. जेन जी के आंदोलन के समय से ही अनुमान लगाए जा रहे थे कि सुशीला कार्की को नेपाल की कार्यवाहक सरकार का प्रमुख नियुक्त किया जा सकता है. राष्ट्रपति भवन और सैन्य मुख्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुशीला कार्की का अंतरिम सरकार का प्रमुख बनना लगभग तय माना जा रहा है. राष्ट्रपति भवन में हुई इस बैठक में सहमति बनने का दावा किया जा रहा है. ये सहमति राष्ट्रपति के अलावा प्रधान सेनापति जनरल अशोक राज सिग्देल, सुशीला कार्की, स्पीकर देवराज घिमिरे और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल की उपस्थिति में बनी है.
सूत्रों के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा, तो कल शपथग्रहण हो सकता है. मीटिंग में संसद विघटन पर भी सहमति बन गई है. अगले 6 महीने में आम चुनाव कराना होगा. जानकारी के मुताबिक नेपाल के राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने नेपाली कांग्रेस और माओवादी के नेताओं के साथ परामर्श किया है. सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने को लेकर इन नेताओं से चर्चा की गई है.
राष्ट्रपति का प्रमुख दल के नेताओं से संवाद हुआ है. इसमें माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड, कांग्रेस उपसभापति पूर्ण बहादुर खड़का, महामंत्री गगन थापा, पूर्व प्रधानमंत्री माधव शामिल हैं. हालांकि प्रमुख दलों ने संविधान विघटन को लेकर सहमति नहीं दी है.
72 साल की सुशीला कार्की सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं और Gen-Z युवाओं के प्रतिनिधि चाहते हैं कि उन्हें ही फिलहाल के लिए अंतरिम सरकार की ज़िम्मेदारी सौंपी जाए और अगले 6 महीने के अंदर नेपाल में संसदीय चुनाव कराए जाएं. बताया जा रहा है कि नेपाल के युवा इसके लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि वो उम्रदराज़ नेताओं से तंग आ चुके हैं और किसी भी कीमत पर 73 साल के ओली को हटाकर 72 साल की सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री नहीं बनाया जा सकता.
बता दें कि नेपाल ने Gen-Z के आंदोलन के बाद तख्तापलट हो गया है. अब कवायद अंतरिम सरकार बनाने को लेकर जारी है. इसी क्रम आज देर रात अहम बैठक बुलाई गई. वहीं, नेपाल में हुए विनाशकारी विरोध प्रदर्शनों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. अब हर कोई यही सोच रहा है कि नेपाल किस रास्ते पर चलेगा? नेपाल की आबादी करीब 3 करोड़ के आस-पास है और अब Gen-Z ने कहा है कि उनका मकसद नेपाल के संविधान को मिटाना नहीं, बल्कि संसद को भंग करना है. लेकिन सवाल यही है कि सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए Gen-Z ने जो रास्ता अपनाया, और नेपाल को जो नुकसान हुआ है, क्या वो इससे उबर पाएगा?