छत्तीसगढ़राज्य

जनजातीय गौरव दिवस: CM साय साय बोले- इतिहास में जनजातीय नायकों को नहीं मिला उचित स्थान, अब हर घर तक पहुंचेगी उनकी गाथा

रायपुर

राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में आज जनजातीय गौरव दिवस को लेकर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि इस वर्ष राज्य सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस को भव्य और ऐतिहासिक रूप से मनाने की व्यापक योजना बनाई है। पिछले वर्ष जशपुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम बेहद सफल रहा था, जिसकी सराहना स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, जिससे देशभर में जनजातीय समाज के योगदान को सम्मान मिला।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “हमारे जनजातीय समाज के अनेक वीर और गौरवशाली इतिहास हैं, जिन्हें इतिहास के पन्नों में उचित स्थान नहीं मिल पाया। राज्य सरकार का प्रयास है कि ऐसे सभी जननायकों के योगदान को जन-जन तक पहुंचाया जाए।” उन्होंने कहा कि सरकार हर वर्ष जनजातीय समाज के उत्थान के लिए विशेष बजट निर्धारित करती है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में सीधे लाभ मिल रहा है।

साय ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर बोलते हुए कहा, “भगवान बिरसा मुंडा ने मात्र 25 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। उन्होंने आदिवासी समाज को एकजुट कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की अलख जगाई थी। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा है।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष जनजातीय गौरव दिवस के मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रपति जी 16 नवंबर तक विदेश दौरे पर हैं, इसलिए कार्यक्रम की तारीख को 1-2 दिन आगे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि वे स्वयं इस गौरवपूर्ण आयोजन में शामिल हो सकें।”

कार्यशाला में जनजातीय विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि, और विभिन्न जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में जनजातीय संस्कृति, कला, और परंपराओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सुझाव प्रस्तुत किए गए। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य है कि इस वर्ष का आयोजन केवल एक दिवस तक सीमित न रह जाए, बल्कि पूरे राज्य में जनजातीय गौरव और विरासत का उत्सव बन सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button