उत्तर प्रदेशराज्य

यूपीआईटीएस 2025 : हर जिला कहेगा अपनी कहानी

यूपीआईटीएस 2025 : हर जिला कहेगा अपनी कहानी

ओडीओपी प्रदर्शनी में उत्पादों के जरिए हर जिला बताएगा अपनी पहचान, अपनी कहानी

भदोही से लेकर सहारनपुर तक और फिरोजाबाद से लेकर मुरादाबाद तक दिखेगी कला की झलक

ग्लोबल मार्केटप्लेस का अनुभव देगा पवेलियन, स्टार्टअप्स और इंटरनेशनल बायर्स को साझा मंच

प्रदेश की कला और शिल्पकला को मिलेगी वैश्विक पहचान, अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा।

ओडीओपी के जरिए जिलों की पहचान के साथ ही“लोकल से ग्लोबल” के सपने को भी मिलेगा आयाम

लखनऊ
उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS 2025) इस बार एक विशेष आकर्षण का गवाह बनेगा। हॉल नंबर 9 में लगने वाला ओडीओपी पवेलियन राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, शिल्प और कारीगरी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करेगा। यहां हर जिले की अपनी पहचान और अपनी कहानी उसके सिग्नेचर प्रोडक्ट के जरिए जीवंत होती नजर आएगी। प्रदर्शनी में समूचे प्रदेश के उत्पादों से सजे कुल 343 स्टॉल्स लगाए जाएंगे, जो प्रदेश के साथ-साथ हर जिले की कहानी को बयां करेंगे। यूपीआईटीएस 2025 में ओडीओपी पवेलियन एक ऐसा मंच साबित होगा, जहां परंपरा और भविष्य साथ-साथ चलते दिखाई देंगे। यह न सिर्फ उत्तर प्रदेश की कला और शिल्पकला को वैश्विक पहचान दिलाएगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा।

लोकल से ग्लोबल का सपना होगा साकार
भदोही के कालीन, जो अपनी बारीक बुनाई और डिज़ाइन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं, इस पवेलियन की शोभा बढ़ाएंगे। फिरोजाबाद की कांच की कारीगरी अपनी पारंपरिक चमक और आधुनिक डिजाइनों के साथ दर्शकों को आकर्षित करेगी। मुरादाबाद का मेटलवेयर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहले से ही लोकप्रिय है और सहारनपुर की लकड़ी पर की गई नक्काशी भारतीय कारीगरों की अनुपम कला को दर्शाएगी। इन उत्पादों के जरिए न सिर्फ जिलों की पहचान सामने आएगी बल्कि “लोकल से ग्लोबल” के सपने को भी नया आयाम मिलेगा।

ग्लोबल मार्केटप्लेस जैसा मिलेगा अनुभव
ओडीओपी पवेलियन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह एक ग्लोबल मार्केटप्लेस की तरह अनुभव देगा। परंपरा, नवाचार और उत्कृष्टता का संगम यहां एक ही छत के नीचे देखने को मिलेगा। प्रदर्शनी में आगंतुकों को न सिर्फ उत्पादों की विविधता देखने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह जानने का भी मौका होगा कि हर जिले का यह उत्पाद किस तरह वहां की संस्कृति, इतिहास और समाज से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस पवेलियन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह स्टार्टअप्स, डिज़ाइनर्स और इंटरनेशनल बायर्स को एक साझा मंच उपलब्ध कराएगा। यहां व्यापारिक सौदों, नेटवर्किंग और भविष्य की साझेदारियों के नए अवसर खुलेंगे। योगी सरकार का मानना है कि इससे स्थानीय उद्योगों और कारीगरों को सीधा वैश्विक मंच मिलेगा, जिससे उनकी पहचान और आमदनी दोनों बढ़ेंगी।

सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन पर भी खास फोकस
सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन पर भी इस बार खास ध्यान दिया गया है। पारंपरिक शिल्प को आधुनिकता के साथ जोड़कर नई संभावनाओं को तलाशने की कोशिश होगी। इससे न केवल कारीगरों को आधुनिक बाजार की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि पर्यावरण को भी ध्यान में रखकर टिकाऊ उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा।

इन उत्पादों के स्टॉल्स होंगे आकर्षण का केंद्र
* फिरोजाबाद का ग्लास आर्ट
* हाथरस की हींग
* हापुड़ की हैंडलूम बेडशीट, टेक्सटाइल फर्निशिंग
* गौतमबुद्ध नगर का टेक्सटाइल, ज्वेलरी
* मुरादाबाद का मेटल फर्नीचर
* बरेली का जरी जरदोजी
* आगरा की लेदर एसेसरीज
* मेरठ का स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स, मसाले
* कन्नौज का इत्र, इसेंशियल ऑयल
* कानपुर देहात के पीई पाइप्स
* वाराणसी का सिल्क और बनारसी साड़ी
* बाराबंकी का हैंडलूम
* कानपुर का लेदर प्रोडक्ट्स, सैडलरी गुड्स
* चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने
* सीतापुर का हैंडलूम दरी
* बुलंदशहर का खुर्जा पॉटरी, सेरेमिक ज्वेलरी 
* भदोही और मिर्जापुर का कालीन
* गाजियाबाद का इंजीनियरिंग गुड्स
* लखनऊ का हैंडीक्राफ्ट चिकन इंब्रॉयडर्ड गारमेंट्स
* फतेहपुर का आयरन चूल्सा
* एटा के घुंघरू, घंटी और अन्य ब्रास
* मैनपुरी की ताकशी आर्ट
* फर्रूखाबाद का जरी जरदोजी
* संत कबीरनगर की होजरी
* जौनपुर की ऊनी दरी
* प्रतापगढ़ के आमला प्रोडक्ट्स
* संभल का रेशम आर्ट
* पीलीभीत का वुड प्रोडक्ट
* आजमगढ़ की सिल्क साड़ी
* बागपत का हैंडलूम
* औरैया का देसी घी और मिल्स प्रोडक्ट्स
* अमेठी का मूंज प्रोडक्ट
* झांसी का सॉफ्ट टॉयज
* कुशीनगर का केला
* अलीगढ़ के ताले और मेटल हैंडीक्राफ्ट
* सुल्तानपुर का मूंज क्राफ्ट 
* सहारनपुर का वुडेन किचनवेयर 
* प्रयागराज का मूंज क्रॉफ्ट, अचार
* मथुरा के ठाकुर जी की पोशाक

 

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