नई दिल्ली
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उद्योग जगत से कहा कि वह वैश्विक बाजारों का दोहन करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने पर ध्यान केंद्रित करें, क्योंकि निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता सरकारी सब्सिडी या समर्थन से पूरी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग जगत को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के विनिर्माण के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रही है, क्योंकि उद्योग जगत को यह स्वीकार कराना एक ‘‘कठिन’’ काम है कि उन्हें गुणवत्ता वाला सामान बनाना चाहिए।
सरकार को शुरुआत में गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों पर उद्योग से भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। मंत्री ने कहा, ‘‘हमारी निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता सब्सिडी या सरकारी समर्थन से नहीं आने वाली है। यह दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए हमारे दरवाजे बंद करने से नहीं आने वाली है। अगर हम आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तो यह तभी हो सकता है जब भारत आत्मविश्वासी होगा और यह आत्मविश्वास तभी आएगा जब हम सभी यह तय करेंगे कि गुणवत्ता हमारा काम नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य है।’’
उन्होंने कहा कि यदि भारतीय उद्योग किसी ऐसे उत्पाद में प्रतिस्पर्धी नहीं है, जिसे आयात किया जा सकता है, तो उद्योग को प्रतिस्पर्धा की दिशा में काम करना होगा जहां उसे अन्य देशों के साथ तुलनात्मक लाभ हो। सरकार देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जैसे कई कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा कि 2014 तक 106 उत्पादों को ‘कवर’ करने वाले केवल 14 क्यूसीओ जारी किए गए थे, लेकिन पिछले 10 वर्षों में सरकार ने 732 उत्पादों को ‘कवर’ करते हुए 174 ऐसे आदेश जारी किए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिक से अधिक लोग बेहतर गुणवत्ता मानकों के साथ जुड़ सकें। ये आदेश घटिया उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने, अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने तथा उपभोक्ताओं के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
आदेश के अनुसार, किसी वस्तु का उत्पादन, बिक्री, व्यापार, आयात व भंडारण तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि उस पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का चिह्न न लगा हो।
बीआईएस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर पहली बार में दो साल तक की कैद या कम से कम दो लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार और उसके बाद के अपराधों के मामले में जुर्माना न्यूनतम पांच लाख रुपये तक बढ़ जाएगा और माल या वस्तुओं के मूल्य का 10 गुना तक हो सकता है।
क्यूसीओ, व्यापार में तकनीकी बाधाओं पर विश्व व्यापार संगठन समझौते के अनुसार जारी किए जाते हैं।
मंत्री ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले सामान के विनिर्माण से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। रोजगार सृजन होता है और निर्यात बढ़ता है।
गोयल ने कहा, ‘‘भारत को उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं व सेवाओं का विनिर्माता बनने की आकांक्षा रखनी होगी और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए।’’
औषधि उद्योग का उदाहरण देते हुए मंत्री ने बड़े उद्योगपतियों से इस क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाइयों का सहयोग करने को कहा।
मंत्री ने उद्योग से बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) समितियों में हिस्सा लेने का भी आग्रह किया।